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अगर कांग्रेस ने गुटबाजी को जल्दी नहीं संभाला तो राजस्थान में भी हो सकते हैं पंजाब जैसे हालात

(शशि कोन्हेर) : राजस्थान में 2018 से ही मुख्यमंत्री पद मिलने का इंतजार कर रहे सचिन पायलट के खेमे ने बड़ा दावा किया है। पायलट गुट के समर्थक माने जाने वाले विधायक और एससी कमीशन के चेयरमैन खिलाड़ी लाल बैरवा ने कहा है कि विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में नेतृत्व परिवर्तन होने जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस महीने होने जा रहे रायपुर अधिवेशन के बाद किसी भी वक्त बदलाव हो सकता है। बैरवा के इन दावों के बाद एक बार फिर अटकलों का दौर शुरू हो गया है। उन्होंने यह बात ऐसे समय पर कही है जब खुद पायलट ने भी पार्टी नेतृत्व को राजस्थान का फैसला जल्द लेने को कहा है।

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बैरवा की बातें इसलिए भी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि उन्होंने पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट से मुलाकात के बाद उनके आवास के बाहर ही पत्रकारों से कहीं। उन्होंने कहा कि पार्टी ने कांग्रेस के तीन वरिष्ठ नेताओं (मंत्री शांति धारीवाल, महेश जोशी और आरटीडीसी चेयरमैन धर्मेंद्र राठौड़) के खिलाफ अनुशासनहीनता का केस बंद नहीं किया है, जिन्हें पिछले साल 25 सितंबर को विधायक दल की बैठक में बाधा डालने के लिए नोटिस दिया गया था।

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बैरवा ने कहा कि छत्तीसगढ़ के रायपुर में 24 से 26 फरवरी के बीच होने जा रहे अधिवेशन के बाद हाई कमान राजस्थान को लेकर कभी भी फैसला कर सकता है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट को पार्टी की संपत्ति बताते हुए बैरवा ने कहा कि गहलोत को पार्टी की फिक्स्ड डिपॉजिट और पायलट को वर्किंग कैपिटल बताया। इससे पहले बुधवार को खुद सचिन पायलट ने अनुशासनात्मक कार्रवाई में देरी को लेकर सवाल खड़े किए थे। उन्होंने सीएलपी बैठक के बहिष्कार और स्पीकर को इस्तीफा सौंपने के लिए बनाए गए कथित दबाव की जांच की मांग की।

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पायलट ने कहा कि विधायकों का इस्तीफा इसलिए स्वीकार नहीं किया गया क्योंकि उन्होंने अपनी मर्जी से नहीं सौंपा था। उन्होंने पीटीआई को दिए इंटरव्यू में कहा, ‘यदि उन्होंने अपनी मर्जी से नहीं दिया तो वे किसके दबाव में थे? क्या उन्हें डराया गया था? इस विषय की पार्टी को जांच करनी चाहिए।’ कार्रवाई में देरी की ओर इशारा करते हुए पायलट ने कहा था कि यदि राजस्थान में हर पांच साल में सरकार बदलने का ट्रेंड तोड़ना है तो कांग्रेस से जुड़े मसलों पर जल्द फैसले की जरूरत है। गौरतलब है कि सितंबर के अंत में बुलाई गई सीएलपी में पायलट को सत्ता सौंपने की अटकलें थीं।

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