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2.75 लाख रुपये किलो की कीमत वाला आम खाया है? नहीं न; तो कम से कम यहां देख ही लीजिए

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(शशि कोन्हेर) : आम को फलों का राजा कहा जाता है। गर्मी का मौसम आते ही लोग बाजार में इस फल को ढूंढना शुरू कर देते हैं। तमाम तरह की वैरायटी के आम देशभर में बिकते हैं। भारत से ही अन्य देशों में भी आमों को एक्सपोर्ट किया जाता है, लेकिन जब आप आम लेने जाते होंगे, तो कितना महंगा खरीदते होंगे?

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सौ रुपये किलो, दो सौ रुपये किलो या चलिए मान लेते हैं कि आप किसी खास वैरायटी के आम के लिए हजार-दो हजार रुपये तक खर्च कर देते होंगे। क्या आपने कभी पौने तीन लाख रुपये प्रति किलो का आम देखा है? यह सुनकर चौंक गए न आप। दरअसल, यह आम कोई और नहीं, बल्कि दुनिया का सबसे महंगा आम मियाज़ाकी है। यह दुनियाभर में लोकप्रिय है।

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एक किलो मियाज़ाकी आम की कीमत 2.75 लाख रुपये है। सिलीगुड़ी के तीन दिवसीय मैंगो फेस्टिवल के सातवें संस्करण में अंतरराष्ट्रीय बाजार में लगभग 2.75 लाख रुपये प्रति किलो की कीमत वाला दुनिया का सबसे महंगा आम ‘मियाज़ाकी’ भी प्रदर्शित किया गया है।

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एसोसिएशन फॉर कंजर्वेशन एंड टूरिज्म (एसीटी) के सहयोग से मोडेला केयरटेकर सेंटर एंड स्कूल (एमसीसीएस) द्वारा आयोजित सिलीगुड़ी के एक मॉल में 9 जून को उत्सव की शुरुआत हुई। फेस्टिवल में आम की 262 से अधिक किस्मों को प्रदर्शित किया जाएगा और फेस्टिवल में पश्चिम बंगाल के नौ जिलों के 55 उत्पादकों ने भाग लिया।

प्रदर्शित की जाने वाली कुछ किस्मों में अल्फांसो, लंगड़ा, आम्रपाली, सूर्यपुरी, रानीपसंद, लक्ष्मणभोग, फजली, बीरा, सिंधु, हिमसागर, कोहितूर और अन्य शामिल हैं। सिलीगुड़ी के एक आम प्रेमी सैंडी आचार्य ने कहा कि उन्हें एक मंच पर इतने सारे आम देखने का मौका मिला है। उन्होंने आगे कहा कि फेस्टिवल में उन्हें दुनिया का सबसे महंगा आम ‘मियाज़ाकी’ देखने को मिला।

उन्होंने कहा कि यह जानकर बहुत अच्छा लगा कि बंगाल के किसान इस आम को अपने बगीचों में उगा रहे हैं। पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के लाभपुर के एक मियाज़ाकी किसान शौकत हुसैन ने कहा कि वह पहली बार उत्सव में भाग ले रहे हैं और वह उत्सव में मियाज़ाकी किस्म लेकर आए हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने बांग्लादेश से पौधे मंगवाए और उन्हें बीरभूम में अपने बगीचे में लगाया।

1940 में पहली बार उगाया गया आम
उन्होंने कहा, “भारी उत्पादन के साथ सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली। इसे देश के किसी भी हिस्से में उगाया जा सकता है और किसानों की आर्थिक स्थिति को बदल सकता है।” राज बसु, संयोजक, एसीटी और मैंगो फेस्टिवल के सह-भागीदार ने कहा कि उन्होंने आम की 262 से अधिक किस्मों को प्रदर्शित किया है, उनमें से मियाज़ाकी उत्सव का प्रमुख आकर्षण था।

उन्होंने कहा, ”लोग आम के चारों ओर घूम रहे हैं और इसके बारे में पूछ रहे हैं। वे इस फेस्टिवल के माध्यम से पर्यटन को बढ़ावा देना चाहते हैं। एसोसिएशन ने यूनेस्को से बांग्लादेश-दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे (डीएचआर) कॉरिडोर में सोमपुर पहाड़पुर महाविहार को आम हेरिटेज कॉरिडोर घोषित करने की अपील की है। बता दें कि मियाज़ाकी आम को कैलिफोर्निया में 1940 के वर्ष में पहली बार लगाया गया। बाद में इसे जापान के मियाज़ाकी शहर में लाया गया और इस तरह इसका नाम मियाज़ाकी मैंगो पड़ा।

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