छत्तीसगढ़बिलासपुर

क्या दूध के धुले तहसीलदार “प्रकाश साहू” ने नौ लाख रुपए नगद देकर खरीदी है, रतनपुर की तहसीलदारी…?

(शशि कोन्हेर) : बिलासपुर :  बिलासपुर जिले के रतनपुर में तहसीलदार और पटवारियों के बीच की लड़ाई ने जिले के राजस्व विभाग के हम्माम की नंगी सचाई उजागर कर दी है। वैसे तो पुलिस महकमें से लेकर राजस्व और तमाम विभागों में नगद रकम देकर पसंदीदा पोस्ट हथियाने की सच्ची झूठी खबरें प्रदेश में (15 साल के) भाजपाई शासनकाल की तरह अभी भी राजनीति के गलियारे में गूंज रही हैं। लेकिन इस बार रतनपुर का मामला इसलिए बेहद शर्मनाक है कि वहां पटवारियों और तहसीलदार के बीच चल रही रस्साकशी ने रतनपुर तहसील का नंगा सच उजागर कर दिया है।

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पटवारियों के मुताबिक तहसीलदार रतनपुर प्रकाश साहू का कहना है कि उन्होंने 9 लाख रुपए देकर रतनपुर में पोस्टिंग हासिल की है। इसीलिए वे पटवारियों से इसकी आड़ में लगातार उगाही का दबाव बनाए रहते हैं। उससे भी अधिक शर्मनाक बात यह है कि सारी बातें जिला प्रशासन और कलेक्टर की नजरों में आने के बावजूद जिस तत्परता से जांच और कार्यवाही होनी चाहिए.. उसका आज दिनांक तक सर्वथा अभाव दिखाई दे रहा है।

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शासन उसके मंत्री और बड़े अधिकारी चाहे “गाय की पूंछ” पकडकर राजस्व विभाग में नामांतरण से लेकर, नई पर्ची का निर्माण,भाई बंटवारा, सीमांकन सरीखे काम इमानदारी से होने की कितनी ही कसमे खा लें…उन पर खुद उनके अपने रिश्तेदार, परिचित और दोस्त यार ही विश्वास नहीं करेंगे। ‌ बहरहाल..रतनपुर के तहसील ऑफिस का झगड़ा, प्याज के छिलके की तरह परत दर परत रोज उतरकर छत्तीसगढ़ शासन और प्रशासन का मजाक उड़ा रहा है। यह बात पूरी तरह से दिखाई दे रही है कि इस मामले में कहीं ना कहीं बहुत बड़ा भ्रष्टाचार और मनमानी का अलाव जल रहा है.

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जिसका धुंए से अब लोगों के दम घुटने की नौबत आ गई है। अब यह देखना एसडीएम और कलेक्टर तथा शासन का काम है कि रतनपुर तहसील में इस कदर भयंकर अराजकता कैसे फैली और इसमें दोषी कौन है..? तहसीलदार अथवा पटवारी या फिर कोई और.. इसकी जांच और दोषी को दूध की मक्खी की तरह बाहर निकालकर फेंकने में जितनी देर की जाएगी इससे शासन की छवि पर उतना ही खराब असर पड़ सकता है।

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बदनामी तो शासन की लगभग हो ही गई है। इसके बावजूद बड़े अधिकारियों की कुंभकर्णी निद्रा देखकर इतना गुस्सा लग रहा है, मानो उन्हें चौक चौराहों पर रोक कर सीधे-सीधे या सवाल किया जाए कि क्या …उन्हें “छत्तीसगढ़ के गुस्सैल कका” से जरा भी डर नहीं लगता..?

अंत में एक बात और.. पटवारियों और तहसीलदार के बीच हुए झगड़े में रतनपुर की गूटीय राजनीति की आग मैं अपने हाथ से सेंक रहे उन नेताओं का रोल तो नहीं है जिनकी गुटबाजी (यहां हम उनका नाम नहीं लेना चाहते )के कारण कुछ अर्से पहले ही नगर पालिका में भी में ऐसा ही झगड़ा हुआ था।

जिसने कर्मचारियों अधिकारियों को दो फाड़ कर दिया था। और जिसकी जानकारी बिलासपुर कलेक्टर तक आने के बाद भी रतनपुर में नगरपालिका में  महीनों तक कामकाज का भट्ठा बैठा ही रहा।

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