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नरोदा नरसंहार में गुजरात की पूर्व मंत्री माया कोडनानी समेत सभी बरी, 21 साल पहले मारे गए थे 11 मुसलमान

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(शशि कोन्हेर) : 21 साल पहले हुए नरोदा नरसंहार केस में गुरुवार को विशेष अदालत ने अपना फैसला सुनाया। विशेष अदालत के जज एसके बक्शी ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया है। 2002 के सांप्रदायिक दंगों के दौरान नरोदा गांव में मुस्लिम समुदाय के 11 सदस्यों की हत्या कर दी गई थी।

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नरोदा केस में भाजपा की पूर्व विधायक माया कोडनानी और बजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी समेत कुल 86 आरोपी बनाए गए थे। हालांकि, 18 आरोपियों की सुनवाई पूरी होने से पहले मौत हो चुकी थी। 2002 में गोधरा में ट्रेन में आगजनी की घटना में अयोध्या से लौट रहे 58 तीर्थ यात्रियों की मौत हो गई थी। इसके बाद गुजरात में कई जगह सांप्रदायिक हिंसा भड़क गई थी।

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28 फरवरी 2002 को अहमदाबाद शहर के नरोदा गांव में भी दंगा हुआ। यहां कम से कम 11 लोग मारे गए थे। यहां हिंसा को लेकर आरोपियों के खिलाफ खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या), 307 (हत्या का प्रयास), 143 (गैरकानूनी जमावड़ा), 147 (दंगा), 148 (घातक हथियारों से लैस होकर दंगा करना), 120बी (आपराधिक साजिश) के तहत मुकदमा चलाया गया।

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बता दें कि अहमदाबाद स्थित एसआईटी मामलों के विशेष न्यायाधीश एसके बक्सी की अदालत ने गोधरा मामले के बाद हुए दंगों के एक बड़े मामले में सभी आरोपियों को बरी कर दिया। इस मामले की जांच उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त विशेष जांच दल ने की थी। जिन आरोपियों को बरी किया गया उनमें कोडनानी, विहिप नेता जयदीप पटेल और बजरंग दल के पूर्व नेता बाबू बजरंगी शामिल हैं।

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