चपोरा धान खरीदी केंद्र पर धान से अधिक समस्याओं का बोझ…..
(विजय दानिकर) : बिलासपुर – आदिवासी सेवा सहकारी समिति मर्या.चपोरा में जगह की कमी होने से धान की खरीदी में परेशानी हो रही हैं।आकस्मिक वर्षा की वज़ह से खरीदी केंद्र में पानी का जमाव होने से किसानों को धान बेचने के साथ परिवहन में समस्या होती है।खरीफ विपणन वर्ष 2021-22 में धान उपार्जन की समस्या का निराकरण कर स्थल चयन करने अनुविभागीय अधिकारी कोटा से मांग किया गया है।
कोटा विकासखंड अंतर्गत स्थित आदिवासी सेवा सहकारी समिति मर्या.चपोरा पंजीयन क्रमांक 3087 में 24 ग्राम के किसानों से खरीफ फसल की खरीदी की जाती है। जहां किसानों के हित में काम करने वाले प्रदेश सरकार की दावा भी बेमानी साबित होने लगी है। दिन-रात की मेहनत से किसान फसल तैयार करते हैं। फसल तैयार होने के बाद उसे कटाई, ढुलाई और मिंजाई के बाद भी किसानों को राहत नहीं मिलती हैं। खरीदी केंद्र में पहुंचने के बाद किसानों को जगह कम होने की वज़ह से विक्रय करने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है।समय पर तौल ना होने की स्थिति में चोरों की नजर से अपनी धान को सुरक्षित रखने रात भर जागना पड़ता है। खरीदी केंद्र का क्षेत्रफल कम होने से मुख्य मार्ग पर गाड़ियों की लंबी कतार लग जाती हैं।गाड़ियों की लगातार आवागमन होने से राहगीरों में भय का माहौल बना रहता है।जगह की कमी से परिवहन के साथ धान खरीदी की रफ्तार धीमी हो जाती है। प्रतिवर्ष होने वाली समस्या के निदान के लिए कार्यालय आदिवासी सेवा सहकारी समिति मर्या.चपोरा द्वारा खरीफ विपणन वर्ष 2021-22 में धान उपार्जन केंद्र हेतु ग्राम चपोरा में स्थल चयन कर दिलाने अनुविभागीय अधिकारी कोटा से मांग किया गया है।ग्राम चपोरा में जगह नहीं मिलने की स्थिति में बारीडीह,खैरा,पोड़ी से धान उपार्जन स्थल दिलाने की मांग की गई है।ताकि धान उपार्जन जगह की साफ सफाई सुबह फैंसी कार्य पुर्ण किया जा सके। बहरहाल देखना यह होगा कि क्या किसानों सहित समिति की समस्या का त्वरित निराकरण होता है या फिर कछुए की चाल से महज कागजी कार्यवाही कर खाना पूर्ति होती हैं, यह तो आने वाला समय ही बताएगा।