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क्या राजस्थान प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष बनाए जा सकते हैं सचिन पायलट..?

(शशि कोन्हेर) : राजस्थान कांग्रेस में संगठनात्मक नियुक्तियों का दौर चल रहा है। पार्टी आलाकमान करीब तीन सौ ब्लाक अध्यक्षों की नियुक्ति कर चुका है। ब्लाॅक और जिला अध्यक्षों की नियुक्ति 28 जनवरी से पहले कर दी जाएगी। राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने संकेत दिए है कि संगठन को मजबूत करना उनकी पहली प्राथमिकता है। माना जा रहा है विधानसभा चुनाव से पहले सचिन पायलट को एक बार फिर प्रदेश की कमान सौंप सकता है।

करीब ढाई साल पहले तत्कालीन पीसीसी चीफ एवं डिप्टी सीएम सचिन पायलट और उनके गुट की ओर से अशोक गहलोत सरकार से की गई बगावत के बाद पार्टी ने राजस्थान कांग्रेस संगठन की सभी इकाइयों को भंग कर दिया था। पायलट के पास फिलहाल कोई पद नहीं है। पायलट राज्य से बाहर जाने से इनकार कर चुके हैं। पार्टी आलाकमान पायलट को कांग्रेस अध्यक्ष बनाकर उनकी नाराजगी दूर सकता है।

पायलट के कांग्रेस अध्यक्ष रहते हुए सत्ता में हुई थी वापसी

उल्लेखनीय है कि विधानसभा चुनाव 2018 में पायलट ही कांग्रेस अध्यक्ष थे। पायलट के कांग्रेस अध्यक्ष के दौरान ही पार्टी की सत्ता में वापसी हुई थी। पार्टी आलाकमान जातीय समीकरणों को ध्यान में रखते हुए पायलट को एक बार फिर कमान सौंप सकता है। हालांकि, पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा जाट समुदाय से आते हैं, ऐसी में पार्टी जाट समुदाय की नाराजगी भी नहीं लेना चाहती है। डोटासरा के नेतृत्व में पार्टी ने विधानसभा उप चुनाव से लेकर पंचायत चुनावों में शानदार सफलता भी हासिल की है।

ऐसे में चर्चा है कि डोटासरा को सम्मानजनक पद दिया जा सकता है। सचिन पायलट ने वर्ष 2020 में बगावत कर दी थी। इसके बाद पायलट को कांग्रेस अध्यक्ष से बर्खास्त कर दिया था। पायलट अपने विधायकों के साथ गुड़गांव मानेसर में एक होटल में कैद हो गए थे।

हालांकि, पार्टी आलाकमान के हस्तक्षेप के बाद पायलट ने वापस लौट आए थे। पार्टी आलाकमान ने पायलट के समर्थकों को फिर से मंत्री बना दिया था, लेकिन पायलट मंत्री नहीं बने थे। पायलट समर्थक बार-बार नेतृत्व परिवर्तन की मांग करते रहे हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि पार्टी आलाकमान पायलट को एक बार फिर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की कमान सौंप कर समर्थकों की नाराजी दूर कर सकता है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी आलाकमान नेतृत्व परिवर्तन का रिस्क नहीं लेना चाहता है। क्योंकि इससे गुटबाजी और ज्यादा बढ़ने की संभावना है। ऐसे में पायलट को कांग्रेस अध्यक्ष बनाकर उनकी नाराजदी दूर की जा सकती है। पायलट अध्यक्ष बनने से इनकार भी नहीं करना चाहेंगे।

पायलट का जनसंपर्क अभियान दबाव की रणनीति

सचिन पायलट 16 जनवरी से प्रदेश के पांच जिलों में सभाएं और जनसंपर्क अभियान शुरू करने का जा रहे हैं। पायलट के इस जनसंपर्क अभियान को शक्ति प्रदर्शन के तौर पर देखा जा रहा है। विधानसभा चुनाव से पहले पायलट पार्टी आलाकमान पर दबाव बनाना चाहते हैं।

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है पायलट सीएम रेस में बनने रहने की चर्चाओं को जिंदा रखने के लिए जनसंपर्क अभियान शुरू कर रहे हैं। क्योंकि विधानसभा नजदीक आते ही सीएम बनाने की मांग भी कमजोर पड़ रही है। ऐसे में माना जा रहा है कि सचिन पायलट खुद को सीएम रेस में बनाए रखने के लिए जनसंपर्क अभियान शुरू कर रहे हैं।

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