बिल्डर सिर्फ, पैसे का रंग या जेल की सजा समझते हैं : सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली – एक रियल एस्टेट फर्म को अवमानना का दोषी करार देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि बिल्डर सिर्फ पैसे का रंग या जेल की सजा को समझते हैं। इसके साथ ही अदालत ने जान-बूझकर अपने आदेश का अनुपालन नहीं करने के चलते इरियो ग्रेस रियलटेक प्राइवेट लिमिटेड पर 15 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया।
शीर्ष अदालत ने रियल एस्टेट फर्म को 15 लाख रुपये राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण में जमा कराने का आदेश दिया। इसके अलावा घर खरीदारों को मुकदमे के खर्च के तौर पर दो लाख रुपये देने को भी कहा। अदालत के आदेश के अनुसार घर खरीदारों को उनका रिफंड नहीं मिला था।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और एमआर शाह की पीठ ने कहा, हमने पांच जनवरी को नौ फीसद ब्याज के साथ रकम चुकाने का राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) का पिछले साल का आदेश बरकरार रखा था। हमने आपको दो महीने में रकम चुकाने का निर्देश दिया था। उस समय आपने (बिल्डर) याचिका दायर कर आदेश में संशोधन की मांग की। हमने मार्च में उस याचिका को खारिज करते हुए दो महीने के भीतर घर खरीदारों को रकम का भुगतान करने को कहा। लेकिन अब फिर से खरीदार हमारे पास आए हैं और कह रहे हैं कि आपने रकम का भुगतान नहीं किया। हमें भारी जुर्माना लगाना होगा या किसी को जेल भेजना होगा। बिल्डर सिर्फ पैसे का रंग या जेल की सजा समझते हैं।
आम्रपाली के बिना दावे वाले 9,538 फ्लैटों की नीलामी को मंजूरी
वहीं, दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट को शुक्रवार को बताया गया कि आम्रपाली की विभिन्न आवासीय परियोजनाओं में करीब 9,538 खरीदार अपने फ्लैटों पर दावा करने के लिए आगे नहीं आए हैं। इस पर शीर्ष अदालत ने कोर्ट नियुक्त रिसीवर की उस याचिका को अनुमति प्रदान कर दी कि इन फ्लैटों को बिना बिके फ्लैट माना जाए और अगर कोई भी उन पर दावा करने के लिए आगे न आए तो अगला कदम उनका आवंटन रद्द कर उनकी फिर से नीलामी की जाए।