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यूपी में महिलाओं से बड़ी उम्मीदों पर टिका है भाजपा का चुनावी गणित…..

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(शशि कोन्हेर) : लखनऊ । पूर्वांचल की जिन 54 सीटों पर सातवें चरण में सोमवार को मतदान होने जा रहा है, वो जातीय राजनीति के घने जाल में उलझी मानी जाती हैं। लेकिन, भाजपा के रणनीतिकारों की आंखों में नए विश्वास की चमक है। अपनी तमाम योजनाओं का लाभ महिलाओं को दे चुकी डबल इंजन की सरकार को इस बड़े वोट वर्ग से ‘रिटर्न गिफ्ट’ की आस है। छह चरणों में इस रुख का दावा करने के साथ ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी भरोसा जता चुके हैं कि आधी आबादी पूरी तरह उनके साथ है।

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उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में जीत के लिए सभी दलों में जातीय समीकरणों को अपने हिसाब से बेहतर करने का प्रयास किया है। चूंकि, प्रदेश में पिछड़ा वर्ग की आबादी अधिक है, इसलिए पिछड़े और दलितों को टिकट भी पर्याप्त मात्रा में दिए गए हैं। दलित-पिछड़ों को राजनीतिक प्रतिनिधित्व का संदेश देने के साथ ही सत्ताधारी भाजपा ने अपनी रणनीति में लाभार्थी वोट बैंक को भी शामिल रखा है, क्योंकि गरीब कल्याण की अधिकांश योजनाओं के लाभार्थी इन्हीं वर्गों से हैं। इसके इतर, अन्य दलों की तुलना में भाजपा ने भरपूर मेहनत आधी आबादी पर भी की है। मोदी सरकार के सबसे बड़े अभियान स्वच्छ भारत मिशन के केंद्र में महिलाएं ही हैं। गांव-गांव, घर-घर शौचालय बनवाने वाली भाजपा ने इन्हें इज्जत घर नाम दिया। इसे नारी गरिमा से जोड़ा।

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उज्ज्वला योजना शुरू कर गरीब को रसोई गैस दी तो उसमें भी महिलाओं के लिए ही चिंता थी कि उनके स्वास्थ्य को चूल्हे के धुएं से नुकसान न हो। प्रधानमंत्री आवास योजना और मुख्यमंत्री आवास योजना की तरह गरीबों को घर देने की योजनाएं अन्य सरकारों में भी चलीं, लेकिन आवास की संख्या अधिक करने के साथ ही मोदी-योगी की सरकार ने इन आवासों का मालिकाना हक महिलाओं को देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में पहल की है।

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