छत्तीसगढ़

अरपा की दशा, दुर्दशा पर दिखा गुस्सा, एकजुटता से अरपा का हो सरंक्षण संवर्धन  करने की बनी सहमति- अरपा का दोहन नहीं होने देने का लिया संकल्प

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(शशि कोन्हेर) : बिलासपुर। पहली बार शहर में अरपा के संवर्धन तथा अरपा में 12 माह पानी रहे तथा रेत का अवैध रूप से उत्खनन ना हो एवं अरपा के सौंदर्यीकरण को लेकर अरपा की गोद में आज पूरे शहर के सामाजिक धार्मिक राजनीतिक एवं विभिन्न संगठन के लोग एकजुट होकरसर्वसम्मति से अरपा की दशा दुर्दशा पर गंभीर चिंतन मनन कर निर्णय लिया कि सिर्फ भाषण बाजी से काम नहीं चलेगा कुछ कर दिखाने से अरपा की दुर्दशा को हटाने के लिए कार्य करना होगा। 

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जिसके लिए सभी ने अपनी सहभागिता दर्ज कराते हुए अरपा के प्रति स्नेह प्रेम दर्शाते हुए शासन प्रशासन के साथ-साथ अपनी अपनी जिम्मेदारी लेने के लिए संकल्प लिया। सभी में अरपा की दुर्दशा को लेकर गुस्सा दिखाई दिया और समर्पण भावना के साथ काम करने का जज्बा भी देखने को मिला। अरपा का दोहन नहीं होने देने के लिए सभी एकजुट दिखे। आज की बैठक में महत्वपूर्ण चर्चा हुई कि अरपा को बचाने के लिए हमें शासन स्तर एवं सरकार पर निर्भर नहीं होना है। 

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सब मिलकर एकजुट होकर अरपा के दोनों ओर हरियाली लाने बड़े रूप में पौधरोपण करने, पर्यावरण संरक्षण के साथ प्राकृतिक सौंदर्य को बनाए रखने के लिए एकजुटता का परिचय देंगे। आज की बैठक में सभी लोगों ने एक राय से निर्णय लिया कि अरपा को बचाने के लिए नदी की  दुर्दशा को सुधारने के लिए सभी मिलजुल कर काम करेंगे और अगली बैठक में अरपा के दोनों किनारे रहने वाले परिवार  के साथ   अरपा के जानकार लोगों से चर्चा करेगी तथा बड़े बुजुर्गों से सुझाव भी लेगी। 

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अधिकांश लोगों ने यह सुझाव दिया कि पिछले समय शहर में हरियाली समाप्त करते हुए बड़े-बड़े पेड़ काट दिए गए थे लेकिन अब हमें पेड़ लगाने की जरूरत है और और  दोनों तट पर फलदार तथा छायादार पौधे लगाने की जरूरत बताइए। अधिकांश लोगों ने अरपा में बीते अपने पुराने समय को भी याद किया और बताया कि अरपा में उस समय पूरे 12 माह पानी रहता था लेकिन अब बीते सालों में पानी कम हो गया पहले तो सामने पानी होता था अब पानी खोजना पड़ता है। लोगों ने यह भी कहा कि आज से 25 साल पहले जब गोडपारा में रहने वाले परिवार अपने घरों की खिड़की खोलते थे तो अरपा में पानी दिखाई देता था लेकिन अब कुछ सालों में हमारी नदी धीरे-धीरे कचरे में तब्दील हो गई और इसमें  गंदा पानी दिखता है इसमें गंदा पानी ना आए इसके लिए एक बड़ी कार्य योजना बननी चाहिए। 

अरपा  की दुर्दशा और दशा को लेकर कहा कि शहर के सभी समाज सभी संगठन दलगत राजनीति से उठकर अरपा के विकास के लिए कुछ करना होगा। आज की बैठक में प्रमुख रूप से किसान नेता नंद कश्यप, साहित्यकार अजय पाठक, डॉ सोमनाथ यादव, वीरेंद्र गहवई, रूद्र अवस्थी, विजय केसरवानी,आप पार्टी के नेता उज्जवला कराटे, डॉ उज्ज्वला धुरंधर, विशंभर गुलहरे, शिवा मिश्रा ,अनिल तिवारी, अमित राय, निरुपमा बाजपेई, अभय नारायण राय,  नरेंद्र बोलर,सुधांशु मिश्रा, सुदीप श्रीवास्तव, अशोक भंडारी, स्वर्णा शुक्ला, रामा बघेल, सुभाष ठाकुर अखिलेश गुप्ता, दीपांशु श्रीवास्तव, डॉक्टर किशन बुधिया, डॉक्टर सुधाकर व्वे, श्रीमती पिंकी निर्मल बत्रा, अंजली चावड़ा,  राजू यादव, वीरू बिष्ट, पायल लाठ, आशीष शुक्ला, प्रोफ़ेसर तरू तिवारी, अखिलेश बाजपेई, संस्कृति तिवारी, धर्मेश शर्मा, विनोद साहू, निलेश मसीह, सुशांत शुक्ला, जीतू  साहू, गुलनाज खान, दिनेश रजक ,दिलीप पाटिल, जय किशन यादव, समीर अहमद, अनिल कुमार मनोज श्रीवास्, केशव गोरख, संजय पिछले, रणजीत खनूजा, अमित दुबे, रंजीत सिंह, अमर बजाज,श्याम पटेल श्याम मोहन दुबे के अलावा  केवट समाज परसराम केवट, शिव सारथी, गणेश सोनवानी, के काफी संख्या में शहर के आमजन जनप्रतिनिधि एवं विभिन्न संगठन के लोग अरपा पे चर्चा करने के लिए एकत्र हुए। अनेक समाज के लोग आज के कार्यक्रम में पहुंचे थे। कार्यक्रम का संचालन महेश दुबे तथा देवेंद्र सिंह ने किया। आभार प्रदर्शन राकेश शर्मा के द्वारा किया गया। आज की बैठक में मौजूद सभी लोगों ने अरपा को संवारनेके साथ और दोनों तट पर हरियाली लाने के लिए एक बड़ी कार्य योजना बनाने के लिए अपने सुझाव दिए।

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