छत्तीसगढ़

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का आरोप… मूलभूत सुविधाओं से ध्यान हटाने भाजपा कर रही “परीक्षा पे चर्चा” की नौटंकी-कांग्रेस

(शशि कोन्हेर) : रायपुर : भाजपा का छात्रों से परीक्षा पर चर्चा को कांग्रेस ने एक नई राजनैतिक नौटंकी बताया है प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि जब से देश में मोदी सरकार आई है भाजपा देश की मूलभूत समस्याओं पर चर्चा से भागती है।

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उसका प्रयास होता है कि छद्म मुद्दों को उठाकर रोटी, कपड़ा, मकान, शिक्षा, रोजगार, महंगाई जैसे मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाना। परीक्षा पर चर्चा निश्चित तौर पर होनी चाहिये लेकिन वह चर्चा अभिवावक, विधार्थी और शिक्षकों के बीच हो तो सार्थक और प्रभावी होते है। भाजपा के नेता क्यो परीक्षा पर चर्चा कर रहे है?

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प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि मोदी जी परीक्षा में चर्चा करने के बजाए पीएमओ में बैठकर यूपी के कन्नौज जिला के पहली कक्षा में पढ़ने वाली कृति दुबे के पत्र पर ही चर्चा कर लेते और उस पत्र का माकूल जवाब देते कि अब पुस्तक कॉपी स्टेशनरी पेंसिल जूता चप्पल कपड़ा और बच्चों के डेली टिफिन में उपयोग होने वाले पोस्टिक आहारों पर लगने वाले जीएसटी को कब खत्म कर रहे है।

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पालकों को महंगे फीस के बोझ से मुक्त कर रहे है तो देशभर के बच्चो को तनाव से मुक्ति मिलता और बच्चे बेफिक्र होकर परीक्षा की तैयारी करते बच्चों को परीक्षा  की तैयारी के लिये आवश्यक गाईड या पुस्तको के महंगाई का तनाव नही होता।बढ़ती महंगाई और पालक की कम होती कमाई के चलते स्कूल फीस नही देने के कारण स्कूल से बाहर किये जाने का भय नही सताता और बच्चे बेहतर तरीके से परीक्षा की तैयारी करते।

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प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि परीक्षा पर चर्चा के नाम से दबावपूर्वक स्कूल से विकास निधि के फंड को खर्च कराया जाता है। परीक्षा पर चर्चा के चलते बेवजह बच्चों में तनाव बढ़ता है। देश के 500 से अधिक केन्द्रीय विद्यालय अपने विकास निधि (जो कि स्कूलों के विकास पर आवश्यक जरूरत को पूरा करने ) की राशि को दबावपूर्वक परीक्षा पर चर्चा कार्यक्रम के लिये चित्रकला की सामग्री एवं चाय, नाश्ता पर मोदी के बैनर पोस्टरी बनवाने में खर्च करवाया गया।

कई निजी स्कूलों ने इस कार्यक्रम के आयोजन के लिये बच्चों से भी पैसा लिये है, जिससे पालकों पर अतिरिक्त बोझ  पडा है। परीक्षा पर चर्चा का काम टीचर एवं बच्चों के बीच का है लेकिन मोदी अपनी गिरती साख को बचाने के लिये अब बच्चों के कंधे के सहारे राजनीति कर रही है।

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