देश

अकबर-औरंगजेब ने मस्जिद का विस्तार किया, ASI रिपोर्ट पर क्या बोला मुस्लिम पक्ष..

Advertisement

ज्ञानवापी पर आई ASI यानी पुरातत्व सर्वेक्षण रिपोर्ट को मानने से मस्जिद समिति ने मानन से इनकार कर दिया है। अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद ने साफ कर दिया है कि वे रिपोर्ट को चुनौती देना जारी रखेंगे। समिति ने कहा, ‘हमें संविधान और न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है।’ AIM का दावा है कि 15वीं सदी में मस्जिद के निर्माण की शुरुआत हुई थी, जिसे तीन चरणों में पूरा किया गया था।

Advertisement
Advertisement

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, AIM के संयुक्त सचिव एसएम यासीन ने कहा, ‘कानूनी जानकारों और इतिहासकारों की तरफ से रिपोर्ट का अध्ययन किया गया है। लेकिन शुरुआती अध्ययन के बाद हम इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि रिपोर्ट में मिली जानकारियां मई 2022 में हुए कोर्ट कमिश्नर सर्वे से बहुत अलग नहीं हैं।’

Advertisement

उन्होंने कहा, ‘हमारे पास मौजूद इतिहास के हिसाब से जौनपुर के एक अमीर शख्स शेख सुलेमानी मोहादिस ने 804-42 के बीच खुली जमीन पर ज्ञानवापी बनाई थी। इसके बाद मुगल बादशाह अकबर ने दीन-ए-इलाही के हिसाब से मस्जिद का विस्तार किया और पश्चिमी दीवार के खंडहर उसी निर्माण का हिस्सा हैं।’ उन्होंने जानकारी दी कि 17वीं सदी में औरंगजेब ने इसका विस्तार किया था।

Advertisement

यासीन के मुताबिक, ‘यह दावा कैसे किया जा सकता है कि यह बड़ा हिंदू मंदिर ही था? वाराणसी बौद्ध का भी बड़ा केंद्र रहा है। यहां शंकराचार्य के आने के बाद बौद्ध को जाना पड़ा।’ उन्होंने कहा कि इस बात की भी जांच होनी चाहिए कि यहां कोई बौद्ध मठ या मंदिर तो नहीं था। AIM पदाधिकारी का कहना है कि अगर शहर को खोदा जाता है, तो बौद्ध और जैन से जुड़ी भी कई जानकारियां मिल सकती हैं।

‘शिवलिंग’ के सर्वे की तैयारी
पीटीआई भाषा के अनुसार, हिंदू महिला वादियों ने उच्चतम न्यायालय का रुख कर ASI को उस ‘शिवलिंग’ की प्रकृति और उसकी विशेषताओं का पता लगाने का निर्देश देने का अनुरोध किया है जिसके बारे में दावा किया गया है कि वह वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद में एक सीलबंद क्षेत्र में पाया गया है।

चार हिंदू महिलाओं ने एक अलग याचिका में उच्चतम न्यायालय के 19 मई 2023 के आदेश को भी रद्द करने का अनुरोध किया है, जिसमें उसने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 12 मई 2023 के निर्देश पर ‘शिवलिंग’ की आयु का पता लगाने के लिए कार्बन डेटिंग समेत वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने पर रोक लगा दी थी। ये महिलाए वाराणसी की एक अदालत में लंबित मुकदमे की मूल वादी भी हैं।

Advertisement

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button