बिलासपुर

बिलासपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड के हिसाब से निर्वाचित व्यक्तियों में प्रशासनिक कार्य क्रियान्वयन क्षमता की कमी : कंपनी ने हाईकोर्ट में अपना जवाब दाखिल किया

Advertisement

(शशि कोन्हेर) : बिलासपुर – बिलासपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड कंपनी ने हाईकोर्ट में लंबित जनहित याचिका जिसमें निर्वाचित व्यक्तियों की उपेक्षा कर अधिकारियों को माध्यम से नगर निगम के अधिकारों को हथियाने और स्वतंत्र रूप से स्मार्ट सिटी के कार्यों को नगर निगम अधिनियम और संविधान के विरुद्ध कार्य करने को चुनौती दी गई है, अपना एक अतिरिक्त जवाब दाखिल किया है।

Advertisement
Advertisement

इस अतिरिक्त जवाब में अन्य बातों के अलावा जिस बात कंपनी ने जोर दिया है वह यह है कि कंपनी के निदेशक मण्डल ने मेयर समापति आदि व्यक्तियों को न रखना इसलिए उचित है क्योंकि उनके प्रशासनिक कार्य क्रियान्वयन की क्षमता में कमी होती है। इसके अलावा कंपनी के अनुसार राजनीतिक व्यक्ति अलग-अलग पार्टी और विचारधारा से जुड़े रहते है। इस कारण विकास के कार्यों से संबंधित निर्णयों में विवाद होने की संभावना ज्यादा है। इसलिए इन्हें स्मार्ट कंपनी के निदेशक मंडल में न होना सही है।

Advertisement

गौरतलब है कि बिलासपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड के द्वारा यह जवाब जनहित याचिका में केन्द्र सरकार के उस जवाब के बाद दिया है, जिसमें केन्द्र सरकार ने यह माना है कि चूंकि स्मार्ट सिटी कंपनी की मालिकाना हक 50 प्रतिशत राज्य सरकार और 50 प्रतिशत नगर निगम का है, इसलिए नगर निगम से बराबर की संख्या में व्यक्ति निदेशक मण्डल ने होने चाहिए। वर्तमान में 12 सदस्यीय निदेशक मंडल में निगम आयुक्त के आलावा कोई भी निगम का प्रतिनिधी नहीं है, वहीं निगम आयुक्त की नियुक्ति भी राज्य सरकार के हाथ में है।

Advertisement

निर्वाचित व्यक्तियों की क्षमता में इस तरह के ऊंगली उठाये जाने पर याचिकाकर्ता विनय दुबे अधिवक्ता की ओर से आपत्ति की जानी वाली है। उनके अनुसार अगर यह तर्क स्वीकार कर लिया गया, तो राज्य और केन्द्र सरकार की जगह भी एक-एक बड़ी कंपनी बनाकर देश चलाना चाहिए। इस मामले की अगली सुनवाई 14 दिसम्बर 2021 को हाईकोर्ट में होनी है।

Advertisement

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button