छत्तीसगढ़

तीन सालों में छत्तीसगढ़ में उद्योगों की स्थापना के लिए 149 एमओयू, 73,704 करोड़ का पूंजी निवेश प्रस्तावित

Advertisement

रायपुर – किसी राज्य के विकास में तीन सेक्टरों का महत्वपूर्ण योगदान होता है प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक। प्राथमिक क्षे़त्र के अंतर्गत आने वाले कृषि क्षेत्र में राज्य सरकार के द्वारा दिए गए प्रोत्साहन से किसानों की आमदनी में वृद्धि होने के साथ ही खेतों का रकबा बढ़ा है तो वहीं द्वितीयक क्षेत्र में आने वाले उद्योग के विकास के लिए सरकार के प्रयासोें से राज्य में निवेश बढ़ा है। इससे राज्य में रोजगार के अवसर बढ़े हैं। छत्तीसगढ़ शासन में पिछले तीन वर्ष में 149 एमओयू हुए हैं। इसके माध्यम से प्रदेश में 73,704.30 करोड़ रूपए का पूंजी निवेश प्रस्तावित है। इससे प्रदेश के 89,697 व्यक्तियों को रोजगार के अवसर प्राप्त होगा।

Advertisement
Advertisement

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ के नारे को साकार करते हुए हरेक क्षेत्र ने विकास की रफ्तार पकड़ी है। छत्तीसगढ़ की नई औद्योगिक नीति से राज्य में बहुत अच्छा औद्योगिक वातावरण का निर्माण हुआ है। कोरोना संकट काल के दौैरान जहां पूरा देश आर्थिक मंदी से जूझ रहा था, वहीं छत्तीसगढ़ में उद्योग जगत इसके प्रभाव से अछूता रहा। लॉकडाउन के दौरान छत्तीसगढ़ सरकार ने उद्योगों की कठिनाईयों को दखते हुए कई तरह की रियायते और सुविधाएं दी। कोर सेक्टर के उद्योगों को विद्युत शुल्क में छूट दी गई। कारखानों में कच्चे माल की आवक बनी रहे और तैयार माल बाजार तक पहुंचता रहे, इसके लिए सभी जरूरी व्यवस्थाएं किए गए। दूसरे प्रदेशों से कच्चा माल आसानी से छत्तीसगढ़ आ सके। इसके लिए भी दिशा-निर्देश जारी किए गए। राइस मिलों में ऊर्जा प्रभार से पांच प्रतिशत की छूट दी गई। उद्योगों को बिजली बिलों के भुगतान की अवधि में भी छूट दी गई। नई औद्योगिक नीति से उद्योग धंन्धों के नए अवसर खुलने के साथ-साथ कृषि क्षेत्र एवं वन आधारित उद्योगों को भी बढ़ावा मिल रहा है।

Advertisement

राज्य सरकार की नयी उद्योग नीति में कृषि और वनोपज आधारित उद्योगों को प्राथमिकता दी गई है। खनिज आधारित उद्योगों को हर तरह का प्रोत्साहन दिया जा रहा है। नई औद्योगिक नीति के तहत अब इस्पात (स्पंज आयरन एण्ड स्टील) क्षेत्र के मेगा अल्ट्रा प्रोजेक्ट में निवेश हेतु विशेष निवेश प्रोत्साहन पैकेज की व्यवस्था की गई है। मेगा निवेशकों के लिए इस पैकेज में अधिकतम 500 करोड़ रुपए तक निवेश प्रोत्साहन दिया जा रहा है। बस्तर संभाग के लिए 1000 करोड़ का निवेश प्रोत्साहन दिया जा रहा है। निवेशकों को सिर्फ छूट और सुविधा ही नहीं दी जा रही, बल्कि इस बात का भी खयाल रखा गया है कि वे प्रदेश में आसानी से उद्योग स्थापित कर सकें। इसके लिए प्रक्रियाओं का सरलीकरण किया गया है। औद्योगिक क्षेत्रों में भूमि आबंटन के लिए भू-प्रब्याजी में 30 प्रतिशत की कमी की गई है। भू-भाटक में एक प्रतिशत की कमी की गई है। औद्योगिक क्षेत्रों में 10 एकड़ तक आवंटित भूमि को लीज होल्ड करने के लिए नियम बनाए गए हैं। औद्योगिक भूमि और भवन प्रबंधन नियमों का सरलीकरण किया गया है।

Advertisement
Advertisement

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button