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बिहार बढ़ाएगा आरक्षण लिमिट? नीतीश सरकार शीत सत्र में ला सकती है प्रस्ताव…..

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बिहार में जाति गणना रिपोर्ट जारी होने के बाद आरक्षण का दायरा बढ़ाने पर चर्चा तेज हो गई है। बिहार विधानमंडल का शीतकालीन सत्र 6 नवंबर से शुरू होने जा रहा है। नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली महागठबंधन सरकार सदन में जाति गणना रिपोर्ट को पेश करेगी।

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इसके साथ ही आरक्षण बढ़ाने का प्रस्ताव भी विधानसभा में पेश किया जा सकता है। बताया जा रहा है कि सरकार ओबीसी और ईबीसी वर्ग के आरक्षण में बढ़ोतरी कर सकती है। पिछले महीने जारी हुई जातीय गणना रिपोर्ट के मुताबिक इन दोनों ही वर्गों की आबादी राज्य में 63 फीसदी है।

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बिहार विधानमंडल का आगामी शीतकालीन सत्र कई मायनों में अहम रहने वाला है। पहली बार जातिगत सर्वे की रिपोर्ट सदन में पेश की जाएगी। पक्ष और विपक्ष के नेता इस पर अपनी राय रखेंगे। साथ ही इस सत्र में नीतीश सरकार आरक्षण लिमिट बढ़ाने का प्रस्ताव लाकर लोकसभा चुनाव 2024 से पहले बीजेपी नीत एनडीए के खिलाफ बड़ा दांव खेल सकती है।

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महागठबंधन सरकार के सियासी महकमे में चर्चा है कि जातिगत गणना रिपोर्ट के आधार पर बिहार में आरक्षण लिमिट 50 फीसदी से बढ़ाकर 70 फीसदी किया जा सकता है। अगले हफ्ते शुरू होने जा रहे विधानसभा के शीतकालीन सत्र में ही इस पर कदम उठाने की तैयारी है। हालांकि, इस बारे में अभी यह स्पष्ट नहीं है कि क्या आरक्षण का दायरा बढ़ाने के लिए नीतीश सरकार नया कानून लाएगी या नहीं। महागठबंधन के सभी शीर्ष नेता एवं मंत्री इस मामले में फिलहाल चुप्पी साधे हुए हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि आरक्षण सीमा बढ़ाने पर कानूनी पेच फंस सकता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के 1992 के आदेश के बाद से कई राज्यों ने आरक्षण का दायरा बढ़ाने के लिए कानून बनाए हैं, जिसमें आरक्षण की सीमा 50% तक सीमित कर दी गई थी, लेकिन उन्हें अब कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

महागठबंधन के दलों ने की आरक्षण कोटा बढ़ाने की मांग
नीतीश सरकार ने बीते 2 अक्टूबर को जातिगत गणना के आंकड़े जारी किए। इसके एक दिन बाद सीएम नीतीश की अध्यक्षता में सर्वदलीय बैठक हुई। इसमें आरजेडी, जेडीयू, कांग्रेस और तीनों लेफ्ट पार्टियों के साथ असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM ने सर्वे के आधार पर आरक्षण का दायरा बढ़ाने की मांग की।

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