जयराम नगर की सरपंच ने 28 लाख के चोरी की क्यों लिखाई झूठी रिपोर्ट..? पुलिस ने किया पर्दाफाश..!
(शशि कोन्हेर) :-बिलासपुर – जयराम नगर में हुई 28 लाख रुपए की चोरी के मामले का खुलासा हो गया है। जांच में चोरी की रिपोर्ट पूरी तरह फर्जी साबित हुई। खुद को चोरी की वारदात के शिकार बताने वाले अग्रवाल दंपत्ति द्वारा परिवारिक कलह एवं कर्ज के बोझ से परेशान होकर चोरी की झूठी साजिश रची। लेकिन उनकी रिपोर्ट और डेढहोशियारियां पुलिस के आगे टिक न सकीं।। और जरा सी पूछताछ मे ही उन्होंने अपना झूठ तथा झूठी रिपोर्ट की साजिश के बारे में सब कुछ कबूल कर लिया। पुलिस को इस बात की शाबाशी देनी चाहिए कि उसने इतने आड़े तिरछे मामले में भी पुलिस के अफसरों और जमीनी अमले ने 4 दिन के भीतर ही अथक मेहनत कर सफलता हासिल कर ली है। दरअसल अग्रवाल दंपत्ति के यहां कोई चोरी हुई ही नहीं थी। उनके द्वारा कर्ज के बोझ से हो रही परेशानियों से बचने और रिश्तेदारों को बेवकूफ बनाने के लिए यह पूरा नाटक रचा था। पुलिस ने उनसे 121 ग्राम सोने की ज्वेलरी और नगर 19 लाख रुपए नगद बरामद कर लिए हैं।
00 मामले का विवरण इस प्रकार है कि जयरामनगर में रहने वाले कमल अग्रवाल जो कि पेशे से व्यापारी है एवं उनकी पत्नि गिरिजा देवी जो कि जयरामनगर के सरपंच पद पर पदस्थ है।उन्होने थाना मस्तुरी को बजे टेलीफोन से सूचना दी कि 4 सितंबर की 3 और 4 सितंबर की दरमियानी रात्रि इनके निवास स्थान जहां निर्माण कार्य चल रहा था।जिसके कारण घर में दरवाजा टुटा था एवं एक बेडरूम जिसमें ताला लगा था और उसकी चाबी वहीं लटक रही थी। अग्रवाल दंपत्ति में रिपोर्ट में यह लिखा कि इसी रास्ते से ताला खोलकर अज्ञात चोर ने घर में घुसकर लटकी हुई चाबी का उपयोग कर अंदर आलमारी से करीबन 18 लाख नगदी एवं 10 लाख की ज्वेलरी चोरी कर पार कर दी। जिसकी सूचना वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक श्री दीपक कुमार झा को दी गई। उन्होंने घटना की गंभीरता को संज्ञान में लेते हुए तत्काल अति पुलिस अधीक्षक श्री रोहित कुमार झा एवं C.S.P. चकरभांठा श्रीमति श्रृष्टि चंन्द्राकर के मार्गदर्शन में चार विशेष एवं सायबर की अलग-अलग टीमों का गठन किया गया जो घटना के तुरंत बाद मौके पर पहुंच गयी। वरिष्ठ अधिकारियों के दिशा निर्देश में टीम द्वारा तत्काल भौतिक एवं तकनिकी पहलुओ का अध्ययन प्रारंभ किया जाकर जांच शुरू की गयी। आस-पास के 100 से अधिक संदिग्धों, आदतन बदमाशों, निगरानी आदि के एवं घर के सदस्यों काम गारों के मोबाईल रिकार्ड चेक किये गये। मामले में 50 से अधिक CCTV फुटेज को खंगाला गया। परन्तु अब तब पुलिस को खास सुराग नहीं मिल पाया था। इसी दौरान पुलिस को सूचना मिली कि घटना के दिन ही प्रार्थी द्वारा अपने रिश्तेदार को करीबन 19 लाख रूपये दिये थे। जिसकी तस्दीक करने के लिए प्रार्थी एवं उसकी पत्नी से पूछताछ शुरू की गयी। प्रारंभ में दोनों ने पुलिस को अलग-अलग कहानी बता कर गुमराह करने की भरपुर कोशिश की। परन्तु पुलिस द्वारा मनोवैज्ञानिक तरीके से पूछताछ करने पर धीरे-धीरे वास्तविक कहानी सामने आई। प्रार्थी की पत्नि गिरिजा देवी एवं इसके नौकर सूरज द्वारा 02 दिन पूर्व ही 16 तोले सोने को जांजगीर में 06 लाख में बिक्री किया गया है। जहां तस्दीक कराये जाने पर बिक्री के दस्तावेज एवं सोना बरामद किया गया। इसके पश्चात घटना दिनांक की शाम को ही 19 लाख रूपये अपने
रिश्तेदार को उधार चुकाने के उद्देश्य से देने की बात प्रार्थी द्वारा स्कीकार की गयी। जिसे भी बरामद कर लिया गया है। सम्पूर्ण घटना के पीछे की वास्तविक वजह प्रार्थी का रिश्तेदारों एवं व्यापार में लाखों की उधारी होने के कारण देनदारों से बहुत परेशान होकर उक्त वारदात करने की बात प्रार्थी एवं उसकी पत्नि द्वारा स्वीकार की गयी। इस प्रकार परिवारिक अंतर्कलह एवं कर्जदारों से छुटकारा पाने के उद्देश्य से प्रार्थी द्वारा झूटी कहानी गढी गयी थी।