जातीय जनगणना में क्या हो सकती हैं परेशानियां…..
(शशि कोन्हेर) : नई दिल्ली – जाति जनगणना को लेकर भाजपा और सरकार ने भले ही सकारात्मक रूख दिखाया हो, लेकिन इसके मुख्य जनगणना के साथ होना मुश्किल है। मुख्य जनगणना के बाद जाति की जनगणना अलग से हो सकती है। वजह यह है कि मुख्य जनगणना इस बार डिजिटल रूप में हो रही है और उसमें जाति जनगणना के आंकड़े जुटाने के लिए नए सिरे से कोडिंग करने के साथ ही जनगणना कर्मियों की ट्रेनिंग भी देगी पड़ेगी, जबकि कोरोना के कारण मुख्य जनगणना में पहले ही डेढ़ साल की देरी हो चुकी है।
जनगणना में कोरोना के कारण पहले ही हो चुका डेढ़ साल का विलंब
भारत में जनगणना कराने वाले रजिस्ट्रार जनरल आफ इंडिया के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हर 10 साल पर होने वाली जनगणना 2021 में कराने की पूरी तैयार कर ली गई थी। जनगणना के पहले चरण में 2020 के अप्रैल से सितंबर के बीच में पूरे देश में घरों और पशुओं की गिनती की जानी थी। दूसरे चरण में फरवरी में जनसंख्या के आंकड़े जुटाने की योजना थी। इसके लिए लाखों जनगणना कर्मियों की ट्रेनिंग का काम भी पूरा कर लिया था। जनगणना के आंकड़े डिजिटल रूप में जुटाने के लिए कई वर्षों की मेहनत के बाद प्लेटफार्म तैयार किया गया था, जो आनलाइन और आफलाइन दोनों स्थितियों में काम कर सके, लेकिन मार्च में कोरोना महामारी शुरू होने के कारण जनगणना का काम पूरा नहीं किया जा सका।
डिजिटल प्लेटफार्म की पूरी कोडिंग में करना होगा बदलाव
उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी खत्म होने और स्वास्थ्य मंत्रालय से हरी झंडी मिलने के बाद किसी भी समय जनगणना का काम शुरू हो सकता है। जाति जनगणना के आंकड़े जुटाने के लिए मुख्य जनगणना के साथ कई नए कालम जोड़ने होंगे। इसके लिए डिजिटल प्लेटफार्म की पूरी कोडिंग में बदलाव करना होगा। इसके साथ ही जनगणना कर्मियों को नए सिरे से ट्रेनिंग देकर यह बताना होगा कि जाति की जनगणना के दौरान किस तरह से आंकड़े फीड किये जायेंगे।।।