देश

जम्मू-कश्मीर में कभी भी चुनाव को हम तैयार….सुप्रीम कोर्ट में बोली केंद्र सरकार- राज्य का दर्जा देने पर समय बताने से इनकार

(शशि कोन्हेर) : अनुच्छेद 370 पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि जम्मू-कश्मीर में किसी भी समय चुनाव के लिए वह तैयार है। सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि राज्य में मतदाता सूची को अपडेट करने की प्रक्रिया काफी हद तक पूरी हो चुकी है और इसे तैयार होने में एक महीने का समय लगेगा।

Advertisement

मेहता ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में विधान सभा चुनाव पंचायत चुनाव और नगर निगम चुनाव के बाद होने की संभावना है। उन्होंने कहा, हालांकि, यह राज्य चुनाव आयोग और केंद्रीय चुनाव आयोग को तय करना है कि कौन सा चुनाव पहले होना चाहिए।

Advertisement
Advertisement

देश के मुख्य न्यायधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ को मेहता ने बताया, “जम्मू-कश्मीर में तीन चुनाव होने वाले हैं। पहली बार त्रिस्तरीय पंचायत राज व्यवस्था लागू की गई है। पहला चुनाव पंचायतों का होगा। जिला विकास परिषद के चुनाव पहले ही हो चुके हैं।”

Advertisement

हालांकि,जब सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि सरकार कब तक जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करेगी, इस पर मेहता ने कोई विशिष्ट समय सीमा देने से परहेज किया, लेकिन यह स्पष्ट किया कि केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा अस्थायी है। उन्होंने कहा, “जहां तक राज्य का सवाल है, मैं पहले ही एक बयान दे चुका हूं। इसके अलावा, संसद के पटल पर गृह मंत्री भी बयान दे चुके हैं कि यूटी एक अस्थायी चीज़ है, और हम वहां एक बेहद असाधारण स्थिति से निपट रहे हैं।” मेहता ने कहा, जम्मू-कश्मीर में अब तक आतंकी घटनाओं में 2018 की तुलना में 45.2 प्रतिशत की कमी आई है और घुसपैठ 90.2 प्रतिशत कम हुई है।

Advertisement

नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता मोहम्मद अकबर लोन की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने पूछा कि क्या अदालत अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की वैधता पर विचार करते समय इसे ध्यान में रख रही है। इस पर सीजेआई चंद्रचूड़ ने स्पष्ट किया कि पीठ संवैधानिक आधार पर अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की वैधता का निपटारा करेगी और चुनाव या राज्य से संबंधित अन्य तथ्य उसे प्रभावित नहीं करेंगे।

सिब्बल ने आतंकवाद से संबंधित घटनाओं पर केंद्र के आंकड़ों को उच्चतम न्यायालय द्वारा रिकॉर्ड में लिए जाने पर भी आपत्ति जताई। इस पर भी प्रधान न्यायाधीश ने सिब्बल को आश्वासन दिया कि जम्मू-कश्मीर में आतंकी घटनाओं पर केंद्र के आंकड़े न्यायालय द्वारा देखे जा रहे अनुच्छेद 370 के संवैधानिक मुद्दे को प्रभावित नहीं करेंगे ।

Advertisement

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button