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आज पूरी दुनिया हमारी तरफ देख रही, भारत में है और क्या  मोहन भागवत ने…..

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भारत में काम करने वाले हाथों की संख्या अधिक है। सभी को रोजगार देना हमारा दायित्व है। ऐसे में हम रोजगार को मारने वाली तकनीक का उपयोग नहीं करेंगे। बाहर से हम जो तकनीक लेंगे उसे देश के अनुकूल बनाएंगे। जिससे हर हाथ को रोजगार सुलभ हो सके। स्व के दम पर ही भारत ने पूरे विश्व में अपनी पहचान बनाई है।

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आज पूरा विश्व भारत की तरफ देख रहा है। भारत में विश्व को नया रास्ता दिखाने की ताकत है। यह बातें सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) नोएडा विभाग द्वारा आयोजित प्रबुद्ध नागरिक समारोह में कहीं। समारोह का विषय स्व आधारित भारत, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का दृष्टिकोण था।

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डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि स्व बहुत व्यापक विषय है। जब हम अपने बूते कुछ करते हैं तो एक अलग प्रतिष्ठा बनती है। भारत सदियों से ऐसा करता है। स्व (खुद) प्रकृति की प्रेरणा है, स्व ही प्रगति का मार्ग है। देश सर्वोपरि होता है, ऐसे में हम सब के अंदर भारत के कल्याण की कामना होनी चाहिए।

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खुद के दम पर भारत ने बनाई पहचान
यदि देश आगे बढ़ेगा तो हम आगे बढ़ेंगे, सभी को इस भावना के साथ काम करना है। स्व के दम पर ही भारत ने विश्व में अलग पहचान बनाई है। भारत आज विश्व की आवश्यकता बन गया है। कोरोना काल में पूरे विश्व ने आयुर्वेद व योग की शक्ति को माना। आज पूरा विश्व योग करता है।

भारत सदियों से हिंदू राष्ट्र
उन्होंने कहा कि भारत सदियों से हिंदू राष्ट्र है, आवश्यकता इसे पहचानने की है। भारत में अनेक भाषा, अनेक पंथ व संप्रदाय हैं। सभी मिलकर रहते हैं, सभी में प्रेम है। हम सब भाई हैं, छुआ-छूत व ऊंच-नीच नहीं है। मत कुछ भी हो हम लड़ व टूट कर नहीं, बल्कि एक होकर चलेंगे। सभी में यही भाव होना चाहिए, यही विविधता में एकता है। आज सभी को धर्म को समझना होगा। हमारा कर्तव्य, स्वभाव, बंधु भाव भी धर्म है।

स्वार्थ की भावना आते ही कल्याण नहीं हो सकता
सारा विश्व एक है, सभी में अपनापन व आत्मीयता होनी चाहिए। उन्होंने कहा जहां पर स्वार्थ की भावना होगी, वहां कल्याण का विचार नहीं आ सकता। सभी लोग निस्वार्थ होकर सेवा करें, परोपकार करें। यही धर्म हमें विश्व को देना है। उन्होंने कहा कि भारत व श्रीलंका लंबे समय से मित्र हैं। भारत हमेशा श्रीलंका की मदद को आगे कदम बढ़ाता है। युवाओं का उपयोग कर आगे बढ़ रहे

चीन ने श्रीलंका की मदद स्वहित साधने के लिए की। जब श्रीलंका पर संकट आया तो चीन पीछे हट गया, लेकिन भारत ने मदद से कदम पीछे नहीं खींचे। आज वह मित्रता बलवती हुई है। मोहन भागवत ने कहा कि विश्व में सबसे ज्यादा युवा शक्ति हमारे पास है। युवाओं के पास तकनीक व अनुभव है। उसका उपयोग करते हुए हम आगे बढ़ रहे हैं।

भारत में कमाने पर कोई प्रतिबंध नहीं है, दोनों हाथ से कमाएं, लेकिन धन को जरूरतमंद लोगों को दान भी दें। हम लक्ष्मी के पुजारी हैं, न कि गरीबी के। भारत को और मजबूत व विश्व गुरु बनाने का सपना हम सबका होना चाहिए। झपकी लेते दिखे जनप्रतिनिधि

कार्यक्रम में शिक्षाविदों, उद्यमियों सहित काफी संख्या में जनप्रतिनिधि भी उपस्थित थे। मोहन भागवत के भाषण के दौरान कुछ जनप्रतिनिधि झपकी लेते भी दिखे, साथ ही कुछ ने आगे पैर भी फैलाया था। कुछ देर बाद ही उन्होंने भाषण पर ध्यान केंद्रित कर दिया।

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