बलौदाबाजार

बर्थडे पार्टी के चलते हुई 30 हजार रुपए की उधारी चुकाने…आत्मानंद स्कूल के 5 बच्चों ने अपने ही स्कूल में की तीन लाख रुपए की चोरी

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(शशि कोन्हेर) : बलौदा बाजार – जिले के प्रतिष्ठित आत्मानंद विद्यालय में पिछले दिनों कंप्यूटर कक्ष से 3 लाख के कंप्यूटर, लैपटॉप और अन्य कीमती सामानों की चोरी हो गई। मामले की जांच के बाद पुलिस ने विद्यालय के ही 5 छात्रों को पकड़कर चोरी गए सामने की जब्ती की। छात्रों के बयान से जो कहानी उभरकर सामने आयी है, वो आज के समाज के लिए बेहद चिंताजनक विषय है।

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हुआ यूं कि बलौदाबाजार के आत्मानंद स्कूल के कम्प्यूटर कक्ष के खिड़की में लगे लोहे की राड को काटकर अंदर प्रवेश कर कमरे मे रखे 07 नग लेनेवो कंपनी का कम्प्यूटर, CPU कुल 07 नग, यूपीएस इंटेक्स कंपनी के 07 नग, एवं एक नग लेपटाप एचपी कंपनी की चोरी कर ली गई। थाना प्रभारी सिटी कोतवाली, डीएसपी यदुमणि सिदार ने बताया कि मामले की विवेचना के दौरान सीसीटीवी कैमरे के फ़ुटेज एवं मुखबीर की सूचना पर 05 “विधि से संघर्षरत बालकों” को पकड़ा गया, जिन्होंने पूछताछ में अपना जुर्म स्वीकार कर लिया। दरअसल अपराध कृत्य करने वाले नाबालिगों को “विधि से संघर्षरत बालक” कहा जाता है। और इस मामले में पकड़े गए बालक कोई और नहीं बल्कि आत्मानंद विद्यालय में पढ़ने वाले छात्र ही थे, जिनसे चोरी गया सारा सामान बरामद करते हुए इन्हें किशोर न्याय बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत करते हुए सुधार गृह में दाखिल कर दिया गया।

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अपराध करने की चौंकाने वाली वजह…

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पकड़े गए छात्रों से पूछताछ की गई तब हैरान करने वाली जानकारी सामने आई। इन लड़कों ने अपने बीच के ही एक हम उम्र का बर्थडे मनाने के लिए पार्टी की और कुछ ज्यादा ही उत्साह दिखा दिया। ऐसे में उधारी हो गई 30 हजार की। अब सवाल यह था कि उधारी कैसे चुकता की जाए। ऐसे में सबसे आसान रास्ता यही समझ में आया कि पिछले दरवाजे से कोई रिस्क वाला काम करना चाहिए। छोटी बुद्धि लेकिन अपराधिक मानसिकता के साथ किए गए इस काम के कारण किशोरों का रिकॉर्ड खराब हुआ और उनकी पृष्ठभूमि भी जांच पड़ताल के दायरे में आ गई।

आखिर इसका जिम्मेदार कौन..?

डीएसपी यदुमणि सिदार ने बताया कि ऐसे सभी मामलों को लेकर हम निष्कर्ष के जिस बिंदु पर पहुंचते हैं, वह यह बताता है कि कुल मिलाकर नाबालिगों का ऐसे अपराध में शामिल होना ही समाज के लिए बेहद चिंताजनक है। इसके लिए केवल अपराध करने वाला वर्ग ही जिम्मेदार नहीं बल्कि उनके पालक भी हैं, जो अपने बच्चों की गतिविधियों, उनकी संगति, शौक, उनके पास आ रहे महंगे सामानों के स्रोत और इस बारे मे कभी जानने की जरूरत नहीं समझते।

यदुमणी सिदार ने बताया कि आये दिन होने वाली बाल अपराध की घटनाओं और उनके पीछे काम करने वाली मानसिकता को लेकर पुलिस और उसका तंत्र लंबे समय से विश्लेषण करता रहा है। इसी तरह समाज के जिम्मेदार लोगों और पालकों को भी इस दिशा में गंभीरता से चिंतन करते हुए ऐसे पहल करने की जरुरत है, जिससे बच्चे अपराध की ओर जाने की बजाय सही दिशा में आगे बढ़ें।

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