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चीन की सीमा पर खतरा बढ़ा.. भेजी गई भारतीय सेना की 6 डिवीजन

(शशि कोन्हेर) : लद्दाख सेक्टर की अपनी हालिया यात्रा में सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने चीनी सीमा पर बढ़ते खतरे के मद्देनजर वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की। इसके लिए भारतीय सेना की छह डिवीजनों को स्थानांतरित कर दिया है जो पहले आतंकवाद विरोधी भूमिकाओं में और पाकिस्तान के मोर्चे की देखभाल करने के लिए तैनात थी।

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चीन के साथ सैन्य गतिरोध अब दो साल से अधिक समय से चल रहा है। चीन की सैनिकों ने मई, 2020 में लद्दाख की गलवान घाटी में भारतीय चौकियों के खिलाफ बड़ी संख्या में सैनिकों को स्थानांतरित कर यथास्थिति को एकतरफा तरीके से बदलने का प्रयास किया था। उसके बाद से भारतीय सेना अपने बलों का पुनर्संतुलन और पुनर्गठन कर रही है, जो पहले उत्तरी सीमाओं से सामना की जाने वाली चुनौतियों की तुलना में पाकिस्तान के खतरे के लिए अधिक तैयार थे।

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वरिष्ठ सरकारी सूत्रों ने बताया कि पिछले दो वर्षों में इस पुनर्संतुलन और फिर से संगठित करने के बाद सेना की दो डिवीजन (लगभग 35,000 सैनिक) को आतंकवाद विरोधी भूमिकाओं से चीन की सीमा पर तैनात किया गया है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय राइफल्स से एक डिवीजन को जम्मू-कश्मीर से आतंकवाद विरोधी भूमिकाओं से हटा दिया गया था और अब इसे पूर्वी लद्दाख सेक्टर में तैनात किया गया है। वहां पहले से ही स्थित 3 डिवीजन के साथ होगा।

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उन्होंने कहा कि इसी तरह तेजपुर स्थित गजराज कोर के तहत असम स्थित एक डिवीजन को राज्य से अपनी उग्रवाद विरोधी भूमिका से हटा दिया गया है। अब इसका काम पूर्वोत्तर में चीन की सीमा की देखभाल करना है।

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सूत्रों ने कहा कि सेना के दस्‍ते की कटौती के साथ असम में आतंकवाद विरोधी अभियानों में अब कोई सेना इकाई शामिल नहीं है।

17 माउंटेन स्ट्राइक कॉर्प्स जो पहले लद्दाख सेक्टर में काम करती थीं, अब केवल पूर्वोत्तर तक सीमित है। उन्हें झारखंड से बाहर एक और डिवीजन दिया गया है। डिवीजन को पहले पश्चिमी मोर्चे पर हवाई हमले के संचालन का काम सौंपा गया था।

उत्तर प्रदेश स्थित दो सेना की डिवीजनों को भी अब लद्दाख थिएटर के लिए उत्तरी कमान को सौंपा गया है। उन्होंने कहा कि दोनों संरचनाओं को पहले युद्ध की स्थिति में पश्चिमी मोर्चे पर लड़ने का काम सौंपा गया था। उन्होंने कहा कि इसी तरह उत्तराखंड स्थित एक स्ट्राइक कोर के डिवीजन को पूरे सेंट्रल सेक्टर की देखभाल के लिए सेंट्रल कमांड को फिर से सौंपा गया है, जहां चीनी सेना कई मौकों पर सीमा का उल्लंघन का प्रयास कर रहे हैं।

सूत्रों ने कहा कि सीमा पर सेना के पुनर्संतुलन के परिणामस्वरूप चीन की सीमा पर आक्रामक तरीके से जवाब दिया गया है। अब पूर्वोत्‍तर सीमा पर सेना की चार स्ट्राइक कोर में से दो की तैनाती हुई है, जबकि अप्रैल-मई, 2022 से पहले उनमें से तीन पाकिस्तान सीमा पर प्रमुखता से देखभाल करते थे।

उन्होंने कहा कि भारत द्वारा सेना की भारी तैनाती ने चीनी सेना को एक संदेश भी दिया है कि एलएसी पर यथास्थिति को बदलने का प्रयास करने का कोई भी दुस्साहस भविष्‍य में संभव नहीं होगा। भारतीय सीमा पर भारी संख्या में चीनी सेना के तैनात होने के बाद भारत ने भी उसी तरह से सैनिकों को दौड़ाया और लगभग 50,000 सैनिकों को वहां भेजा।

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