देश

अदालतों के पास जज ही नहीं, कोर्ट रूम और रहने के लिए घरों का भी अभाव….

Advertisement

(शशि कोंनहेर) : देश की अदालतों में सिर्फ जज की कमी नहीं, बल्कि बड़े पैमाने पर कोर्ट रूम (अदालत कक्ष), जज को रहने के लिए घर और सहायक कर्मचारियों के साथ-साथ अन्य संसाधनों की भी कमी है। यह स्थिति सिर्फ जिला अदालतों में ही नहीं बल्कि विभिन्न उच्च न्यायालयों में भी है। महाराष्ट्र को छोड़कर दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, सहित सभी राज्यों में अदालत कक्षों और संसाधनों की कमी है। जबकि देश की अदालतों में 5 करोड़ से अधिक मुकदमे लंबित हैं। सुप्रीम कोर्ट के शोध एवं योजना विभाग द्वारा तैयार रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है।

Advertisement
Advertisement

रिपोर्ट के मुताबिक देशभर में जिला अदालतों में जहां 5 हजार से अधिक जज के पद खाली हैं, वहीं, 4500 कोर्ट रूम और 75 हजार से अधिक सहायक कर्मियों के पद भी खाली हैं। इसमें कहा गया कि न्यायिक अधिकारियों (जज) के रहने के लिए 6 हजार से अधिक घरों की कमी है। रिपोर्ट में कहा गया कि 42 फीसदी कोर्ट रूम का निर्माण कार्य पिछले तीन सालों से चल रहा है जो कि तय समय सीमा से पीछे है।

Advertisement

सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी इस रिपोर्ट में बढ़ते मुकदमों के बोझ के मद्देनजर बुनियादी ढांचे के विस्तार के लिए सक्रिय और अच्छी तरह से निगरानी वाले कदम उठाए जाने की जरूरत पर बल दिया। साथ ही, 2026 तक यह सुनिश्चित करने को कहा कि देश में कुल तय क्षमता के अनुसार कोर्ट रूम, हॉल सहित सभी तरह के ढंचागत बुनियादी सुविधा बहाल हो।

Advertisement

देशभर में 5300 जज के पद खाली, सबसे अधिक उत्तर प्रदेश में
रिपोर्ट के मुताबिक देशभर में जिला अदालतों 5300 जज के पद रिक्त हैं। इनमें सबसे अधिक उत्तर प्रदेश में 1204 और बिहार में 460 जज के पद रिक्त हैं। इसमें कहा गया कि 5,300 रिक्तियों में से 1,788 रिक्तियां यानी 21 फीसदी जिला जज संवर्ग में हैं, जबकि 8,387 जिला जज के पद स्वीकृत हैं। इसी तरह 3,512 रिक्तियां यानी 21 फीसदी सिविल जज संवर्ग में हैं, जबकि 16,694 सिविल जज के पद स्वीकृत है। रिपोर्ट में कहा गया कि यह न्यायाधीशों की नियमित भर्ती की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है। उच्च न्यायालयों में भी जज के पद खाली हैं।

दिल्ली में 61 फीसदी जज के लिए आवास नहीं
रिपोर्ट में कहा गया कि दिल्ली, जम्मू कश्मीर और लद्दाख में जिला अदालतों में काम करने वाले जज को रहने के लिए पर्याप्त सरकारी आवास नहीं है। इसमें कहा गया कि इन तीनों राज्यों में जज के लिए 61 फीसदी आवास की कमी है।

जिला न्यायपालिका में महज 36 फीसदी महिला जज
रिपोर्ट में कहा गया कि देश की जिला अदालत में महज 36.3 फीसदी ही महिला जज कार्यरत है। हालांकि रिपोर्ट में कहा गया कि देश के जिला न्यायपालिका में अब महिलाओं की भागीदारी बढ़ रही है। इसमें कहा गया कि 16 राज्यों में सिवल जज के लिए आयोजित प्रतियोगिता परीक्षा में से 14 राज्यों में 50 फीसदी से अधिक महिला प्रतिभागी चयनित हुई। इस रिपोर्ट के मुताबिक हाईकोर्ट में 13.4 फीसदी और सुप्रीम कोर्ट में महज 9.3 फीसदी महिला जज हैं।

शौचायलों की स्थिति
देशभर में जिला अदालतों में 88 फीसदी पुरुषों के लिए और 80 फीसदी महिलाओं के लिए शौचालय हैं। हालांकि, सिर्फ 6.7 फीसदी शौचालयों में ही सैनिटरी नैपकिन वेंडिंग मशीन की सुविधा है। इसके अतिरिक्त सिर्फ 30.4 फीसदी जिला न्यायालय परिसरों में दिव्यांगजनों के लिए अलग शौचालय हैं। इसके अलावा केवल 13.1 फीसदी जिला न्यायालय परिसरों में चाइल्ड केयर सुविधा है। 50 फीसदी जिला न्यायालय परिसरों में दिव्यांगजनों के लिए रैंप हैं। 40 जिला न्यायालय परिसरों में दिव्यांगजनों के लिए पार्किंग स्थल निर्धारित हैं।

Advertisement

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button