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देश के 72 बिजली संयंत्रों के पास मात्र 3 दिनों का कोयला, संकट गहराया…..

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(शशि कोन्हेर) : नई दिल्ली – देश के बिजली संयंत्रों के समक्ष कोयले का संकट गहराता जा रहा है। सरकार द्वारा घोषित और उठाए गए कदमों से संकट का समाधान होता नहीं दिख रहा है। सरकार ने यह तो कह दिया है कि संयंत्रों को जरूरत के हिसाब से कोयले की आपूर्ति की जाएगी, लेकिन इसकी रूपरेखा नहीं बताई गई है। भारी बारिश की वजह से घरेलू कोयला उत्पादन प्रभावित हो रहा है। वहीं, अंतरराष्ट्रीय बाजार में कोयले की कीमत में भारी वृद्धि के चलते आपूर्ति तुरंत सुधरने की उम्मीद कम है। कोयला मंत्रालय का कहना है कि ताप बिजली घरों में कोयले की मांग में अचानक बड़ी वृद्धि की वजह से समस्या पैदा हुई है।

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कोयले की स्थिति व स्टाक का नहीं किया जा सही आकलन

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देश के 135 ताप बिजली घरों में से 72 के पास तीन दिनों का ही कोयला बचा हुआ है। वहीं, 50 प्लांट के पास चार से 10 दिनों और सिर्फ 13 संयंत्रों के पास 10 दिनों से अधिक परिचालन के लिए कोयला भंडार है। कहा जा रहा है कि बिजली मांग बढ़ने की वजह से इस वर्ष अप्रैल-जून के दौरान ताप बिजली घरों ने उत्पादन में काफी वृद्धि कर दी थी और इसके बाद के महीनों के लिए कोयले की स्थिति व स्टाक का सही आकलन नहीं किया जा सका। पहली अगस्त की स्थिति यह थी कि ताप बिजली घरों के पास संयुक्त तौर पर 13 दिनों का कोयले का स्टाक था जो अभी घटकर चार दिनों का रह गया है।

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कोयले की रोजाना खपत : 16.8 लाख टन, कोयले की रोजाना आपूर्ति : 15.7 लाख टन

अभी रोजाना इन संयंत्रों में 16.8 लाख टन कोयले की खपत हो रही है जबकि हर स्त्रोत से महज 15.6 लाख टन कोयले की आपूर्ति हो पा रही है। यह स्थिति कब दूर होगी, इसको लेकर अनिश्चितता है। कोयले की किल्लत की वजह से बिजली संयंत्रों को 13,000 मेगावाट बिजली का नुकसान हुआ और इसकी वजह से पावर एक्सचेंज में बिजली की दर 20 रुपये प्रति किलोवाट तक तक पहुंच गई थी। सरकारी

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