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सुप्रीम कोर्ट ने कहा मशरूम की तरह बढ़ रही हैं जनहित याचिकाएं.. जगन्नाथ मंदिर निर्माण कार्य के खिलाफ याचिका खारिज

(शशि कोन्हेर) : नई दिल्ली – उच्चतम न्यायालय ने लगातार आ रही बेबुनियाद जनहित याचिकाओं पर नाराजगी जताई है। कोर्ट के अनुसार ज्यादातर याचिकाओं में बेबुनियाद मुद्दों को उठाया जाता है। सुप्रीम कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि ‘‘मशरूम की तरह जनहित याचिकाओं की वृद्धि’’ चिंता का विषय है और इनमें से तुच्छ जनहित याचिकाओं को शुरुआत में ही दबा देना चाहिए ताकि कुछ जरूरी गतिविधियां प्रभावित न हों।

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बता दें कि जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस हिमा कोहली की अवकाश पीठ ने पुरी के प्रसिद्ध श्री जगन्नाथ मंदिर में निर्माण गतिविधियों के खिलाफ याचिकाओं को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की है। शीर्ष अदालत ने कहा कि अधिकांश याचिकाएं या तो प्रचार हित याचिकाएं या व्यक्तिगत हित याचिकाएं हैं।

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कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि “हाल के दिनों में, यह देखा गया है कि जनहित याचिकाओं की एक मशरूम की पैदावर की तरह वृद्धि हुई है। पीठ ने कहा कि ऐसी कई याचिकाओं में, कोई भी जनहित शामिल नहीं है। याचिकाएं या तो प्रचार हित याचिकाएं या व्यक्तिगत हित याचिकाएं हैं।

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पीठ ने इसी के साथ कहा कि यह याचिकाएं मूल्यवान न्यायिक समय को खराब कर रही हैं जिसका अन्य वास्तविक मुद्दों पर उपयोग किया जा सकता है। वे कानून की प्रक्रिया के दुरुपयोग के अलावा और कुछ नहीं हैं। कोर्ट ने कहा कि यह उचित समय है कि इस तरह के तथाकथित जनहित याचिकाओं को शुरू में ही समाप्त कर दिया जाए ताकि व्यापक जनहित में जरूरी याचिकाओं के लिए समय बच पाए।

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शीर्ष अदालत ने कहा कि ओडिशा सरकार द्वारा पुरी के श्री जगन्नाथ मंदिर में शौचालय और क्लोकरूम जैसी बुनियादी और आवश्यक सुविधाएं प्रदान करने के लिए किए गए निर्माण कार्य व्यापक जनहित के लिए आवश्यक हैं। जिसपर याचिका लगाना एक तरह का समय की बर्बादी ही है।

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