छत्तीसगढ़बिलासपुर

शर्म रेलवे को, मगर नहीं आती.. नेताओं की चेतावनी को गीदड़ भभकी समझता है रेल प्रबंधन.. रक्षाबंधन के बाद तीजा के दिन से भी थोक में ट्रेनें बंद 😡..!

Advertisement

(शशि कोन्हेर) : बिलासपुर :  रेल प्रबंधन के द्वारा छत्तीसगढ़ से निकलने वाली और यहां से गुजरने वाली 56 ट्रेनों को एक बार फिर पूरी बेशर्मी से रद्द कर दिया गया है। इसके अलावा चार और ट्रेनों को आधे रास्ते में खत्म करने की सूचना दी गई है। रेलवे का यह फैसला उन चेतावनियों और अल्टीमेटमों को रद्दी की टोकरी में फेंकते हुए लिया गया है, जो हमारे छत्तीसगढ़ के वीर साहसी और जनता की सेवा के लिए जान लुटा देने की बात करने वाले नेताओं द्वारा रेलवे को कई बार दी गई थी।

Advertisement
Advertisement

वैसे यह कोई पहला मौका नहीं है जब रेलवे ने एक साथ  थोक में ट्रेनों को रद्द कर पूरे छत्तीसगढ़ को चैलेंज सा किया है कि… हम तो वही करेंगे, जो हमारा मन करेगा। चाहे राखी हो या फिर छत्तीसगढ़ मैं महिलाओं का सबसे बड़ा पर्व  तीजा.. रेलवे ने इन सबकी परवाह ना करते हुए एक बार फिर 56 ट्रेनें एक साथ बंद कर छत्तीसगढ़ की गैरत को ललकारा है। सभी को पता है कि रक्षाबंधन के पर्व पर सभी बहने अपने भाईयों के यहां अथवा भाई अपनी बहनों के यहां जाकर राखी बधवाते हैं। लेकिन रेलवे ने इसकी कोई परवाह नहीं की और रक्षाबंधन पर ट्रेनों को बंद ही रखा।

Advertisement

इसी तरह  तीजा का पर्व ऐसा त्यौहार है जिसमें सभी महिलाएं अपने मायके जाकर तीजा का व्रत रखती हैं। मायके जाने वाली ऐसी महिलाओं की बहुत बड़ी संख्या अपने आने जाने के लिए रेलवे पर निर्भर रहती है। लेकिन रेलवे ने रक्षाबंधन की तरह तीजा पर्व की इस परंपरा की भी परवाह ना कर एक बार फिर छत्तीसगढ़ के सीने पर मूंग दलने का दुस्साहस किया है।

Advertisement

अफसोस की बात यह है कि इतनी बड़ी संख्या में इतने लंबे समय से यात्री ट्रेनों को रद्द करने की हठधर्मिता रेलवे कर रहा है लेकिन हमारे नेताओं को केवल जुबानी जमा खर्च अथवा अखबारी विज्ञप्तियों की कागजी धमकियों के सिवा और कुछ करते नहीं देखा गया। शायद रेलवे भी समझ गया है कि बिलासपुर समेत पूरे छत्तीसगढ़ के नेताओं के द्वारा रेलवे को दी जाने वाली धमकियां… गीदड़ भभकी से अधिक कुछ नहीं है।

जाहिर है कि रेलवे अगर ऐसा सोच रहा है तो इसमें भी हमारी और हमारे नेताओं की ही गलती है। जो शायद…. हमला चाहे जैसा होगा…हाथ हमारा नहीं उठेगा…,जैसे सिद्धांतों पर अमल कर  हाथ में दही जमाए और मुंह में ताले लगाए चुपचाप अपनी वातानुकूलित मोटर गाड़ियों का सुख उठाकर परिवार और सहित फर्राटे भर रहे हैं। रहा सवाल जनता का तो… उसकी तकलीफो की परवाह…यदि कोई करता तो रेलवे की कालर पकड़ कर कहता…. बहुत हो गया……अब छत्तीसगढ़ की एक भी यात्री ट्रेन रद्द की तो…! खबरदार…!

Advertisement

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button