बिलासपुर

जप दिवस पर सुबह 6 बजे से नवकार मंत्र का क्रमबद्ध सवा तेरह घंटे का जाप

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(शशि कोन्हेर) : बिलासपुर। तेरापंथी जैन समाज के वैशाली नगर में चल रहे पर्युषण महापर्व के छठवें दिन जप दिवस पर जाप और प्रेक्षा ध्यान के बाद उपासक जयन्तीलालजी ने बताया कि जप कैसे करें, क्यों करें, किस मन्त्र का चुनाव करें आदि पर प्रकाश डाला। अभय कुमार द्वारा धारिणी, चेलना आदि विमाताओं की दोहद पूर्ति में मन्त्रों की साधना की गई थी| अतः मन्त्र जाप में शक्ति होती है। प्रवक्ता उपासक दिनेश कोठारी ने बताया कि नवकार मन्त्र एक महामंत्र है। इसमें सभी अरिहंतों, सिद्धों, आचार्यों, उपाध्यायों और साधुओं को नमस्कार किया गया है। इसके जाप से निर्जरा होती है और नमस्कार पुण्य का बंध होता है। यही पुण्य आगे उदय में आकर शुभ फल देता है और निर्जरा से जीव कर्मों से हल्का होकर सुख की प्राप्ति करता है। बाद में 8 कर्मों की संक्षेप में चर्चा की और बताया कि कर्म बंधन से कैसे बचें। जप दिवस पर सुबह 6 बजे से नवकार मंत्र का जाप सवा तेरह घंटे का क्रमबद्ध चला।

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इस अवसर पर हुलास गोलछा, इंदर चंद बैद मूथा, चंद्रकांत छल्लानी, सुरेन्द्र मालू,विनोद लूनिया, कन्हैया लाल जी बोथरा, चंद्र प्रकाश बोथरा, रमेश नाहर,अनिल जी सिंघी, बजरंग दफ्तरी,भीकम दुग्गड़, अंजू गोलछा, संगीता बरडिया, ललिका जैन,अर्चना नाहर,नीतू दुधेरीया, कमला दुग्गड़, मेघा बरड़िया, कुसुम लूनिया, कुसुम सेठीया,भावना बोथरा, शीला छल्लानी,भावना बोथरा,पूनम बोथरा,सोनिका नाहर आदि उपस्थित रहे।

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स्थानकवासी जैन समाज टिकरापारा में पर्युषण महापर्व

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श्री दशा श्रीमाली स्थानकवासी जैन संघ टिकरापारा में पर्युषण महापर्व का आज छठवा दिन चल रहा है, प्रवचन में बताया गया कि मनुष्य के जीवन में गुरु का होना बहुत ही महत्व कि बात है क्योंकि गुरु बिना ज्ञान नहीं मिलता क्योंकि अंधकार रूपी जीवन में प्रकाश लाने का काम गुरु के सिवाय कोई नहीं कर सकता। गुरु के बिना मनुष्य का जीवन व्यर्थ है। इसीलिए हर मनुष्य के जीवन में एक गुरु का होना अत्यंत जरूरी है।
लीना बहन ने बताया की जीवन में धर्म करने का बहुत महत्व है और धर्म के साथ-साथ तप भी करना जरूरी है रोज के 24 घंटे में से एक घंटा जरूर धर्म करना चाहिए। धर्म आत्मा के उद्धार के लिए अत्यंत आवश्यक है खाली माला फेरने से धर्म नहीं होता है धर्म करने के लिए ईश्वर के पास जाना होता है और ईश्वर के पास जाने के लिये आत्मा जब शुद्ध हो जाए तो स्वयं ईश्वर के पास पहुंच जाती है, इसीलिए अपनी आत्मा को शुद्ध करना आवश्यक है जिसके लिए मन की शांति जरूरी है।

बच्चों एवं बड़ों के द्वारा नाटक प्रस्तुत किया गया जिसमें धर्म के साथ-साथ मनुष्य अपना कर्तव्य ही ना भूले यह संदेश दिया गया। समाज के श्री संघ के सभी सदस्यों द्वारा आज सभी तपसियों के घर जाकर सुखसता पूछी गई एवं तपस्वियों की अनुमोदना की गई।
प्रवचन में भगवान दास भाई सुतारिया, शरद दोशी, प्रवीण दामाणी, प्रदीप दामाणी, किशोर देसाई, शरद दोशी,सौरभ कोठारी,हितेश सुतारिया, गोपाल वेलाणी,नरेंद्र तेजाणी, राजू तेजाणी, पारुल सुतारिया, आशा दोशी,भावना गांधी, तरुणा देसाई, स्मिता सुतारिया,करिश्मा देसाई, दीपिका गांधी, मीना तेजाणी, सुधा गांधी, अर्चना वेलाणी, शीतल तेजाणी, उर्मिला तेजाणी, श्रुति कोठारी सहित समाज के सभी सदस्य मौजूद थे।

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