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सलाम आरती का नाम बदला..अब कहलायेगी…आरती नमस्कार

(शशि कोन्हेर) : कर्नाटक : राज्य सरकार ने 18वीं शताब्दी के शासक टीपू सुल्तान के समय के मंदिरों में जारी ‘सलाम आरती’, ‘सलाम मंगल आरती’ और ‘दीवतिगे सलाम’ जैसे रीति-रिवाजों का नाम बदलकर इन्हें स्थानीय नाम देने का फैसला किया है। हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि इन रीति-रिवाजों को बंद नहीं किया जाएगा।

सलाम आरती का नाम बदलकर आरती नमस्कार
कर्नाटक में मुजराई मंत्री शशिकला जोले ने कहा कि यह फैसला किया गया है कि दीवतिगे सलाम का नाम बदलकर दीवतिगे नमस्कार, सलाम आरती का नाम बदलकर आरती नमस्कार किया जाएगा। इसी तरह सलाम मंगल आरती का नाम बदलकर मंगल आरती नमस्कार किया जाएगा। यह हमारे विभाग के वरिष्ठ आगम पुजारियों की राय पर किया गया है। इस संबंध में एक परिपत्र जारी किया जाएगा।

वहीं, इस मामले में कर्नाटक के गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, ‘सलाम आरती’ (कुछ मंदिरों में मैसूर के राजा टीपू सुल्तान के नाम पर की जाने वाली रस्म) का नाम बदलने का निर्णय सही है। अगर मंदिरों में हमारी संस्कृति को मजबूत करने का काम नहीं किया जाता है तो यह कहां होना चाहिए?

मंत्री ने बताई ये वजह
शशिकला जोले ने आगे कहा कि कर्नाटक की राज्य धार्मिक परिषद की मीटिंग में कुछ सदस्यों ने इस तरफ ध्यान आकर्षित किया था कि कुछ श्रद्धालुओं ने इन आरतियों के नाम बदलने मांग की है। मीटिंग में इसके ऊपर व्यापक चर्चा की गई थी।

मंत्री शशिकला जोले ने कहा कि रीति-रिवाज पहले की तरह परंपरा के अनुरूप ही जारी रखे जाएंगे और सिर्फ उनका नाम बदला जाएगा। नाम में हमारी भाषा के शब्द शामिल किए जाएंगे। कहा जा रहा है कि कर्नाटक सरकार ने ये कदम टीपू सुल्तान पर सत्तारूढ़ बीजेपी के रुख के मुताबिक उठाया है।

टीपू सुल्तान को लेकर राज्य में हो रही सियासत
गौरतलब है कि बीजेपी और कुछ हिंदू संगठन टीपू सुल्तान को एक ‘क्रूर हत्यारे ’ के तौर पर देखते हैं। इसके अलावा कुछ कन्नड़ संगठन भी टीपू सुल्तान को कन्नड़ विरोधी कहते हैं। उनकी तरफ से आरोप लगाया जाता है कि टीपू ने स्थानीय भाषा की जगह पर फारसी को प्रोत्साहन दिया था।

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