छत्तीसगढ़

मुफ्तखोरों से पनाह मांग रहे हैं…सरकारी कुक्कुट फार्म के मुर्गे-मुर्गियां,कड़कनाथ, बत्तख और तीतर बटेर

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(शशि कोन्हेर के साथ सतीश साहू) : बिलासपुर। यह कोई आज की बात नहीं है बरसों से वहां यह रिवाज की तरह चल रहा है। जैसे ही मोबाइल पर कोई फोन आता है। अधिकारी समझ जाते हैं कि 2-4 मुर्गे-मुर्गियों की चंदे में गर्दन कटने वाली है। शहर में बिलासा ताल के बाजू में स्थित कुक्कुट फार्म के मुर्गे मुर्गियां बत्तख कड़कनाथ कांकरेल और तीतर बटेर मुफ्तखोरों से पनाह मांग रहे हैं। वहां रोज चार छह ऐसे अतिथि जरूर आते हैं।

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जो केवल “थैंक यू” बोलकर दो चार मुर्गे कड़कनाथ या तीतर बटेर ले जाते हैं। इनमें कुछ ऐसे भी रहते हैं जो थैंक्यू तक बोलने में कंजूसी करते हैं। इधर कुछ दिनों से इन्हें बॉयलर मुर्गों में मजा नहीं आ रहा है। इसलिए उनकी निगाहें अब कड़कनाथ और तीतर बटेर पर टिकी हुई है। अधिकारी से जब हमने इस बाबत बात की तो उन्होंने भले ही कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। लेकिन उनकी मुस्कान शक पैदा करने वाली लगी। 

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अंदरखाने की कहानी यह है कि शायद ही ऐसा कोई दिन जाता होगा जब यहां से चंदे में मुर्गे- मुर्गियां बत्तख और तीतर बटेर न जाते हो। इस समय कुक्कुट फार्म में लगभग छह-सात हजार मुर्गे मुर्गियां 700 बत्तख 730 सौ कड़कनाथ 400 कांकरेल और वही लगभग 400 तीतर बटेर मौजूद हैं। चंदे में ले जाने वालों में हर तरह के रसूखदार शामिल हैं। यहां मुर्गे मुर्गियों बत्तख और तीतर बटेर के लिए बने शेड वाले हाल में जैसे ही कोई अप टू डेट ड्रेस वाला अंदर जाता है। भीतर मौजूद सभी मुर्गियां और तीतर बटेर अपने बच्चों की खैर मनाने लगते हैं।

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