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गोरखनाथ मंदिर में सुरक्षाकर्मियों पर हमला करने वाले मुर्तजा को फांसी की सजा

(शशि कोन्हेर) : गोरखनाथ मंदिर के सुरक्षाकर्मियों पर हमला करने के दोषी अहमद मुर्तजा को अदालत ने फांसी की सजा सुनाई है। एनआईए-एटीएस के विशेष न्यायाधीश विवेकानंद शरण त्रिपाठी की कोर्ट ने उसे यूएपीए, देशद्रोह, गोरखनाथ मंदिर के सुरक्षाकर्मियों पर हमले समेत कई अपराधों में सजा सुनाई गई है। पिछले साल 4 अप्रैल को वारदात को अंजाम दिया गया था। हमले के नौ महीने के अंदर ही उसके खिलाफ ट्रायल पूरा कर सजा का ऐलान कर दिया गया है।

03 अप्रैल 2022 को मुर्तजा ने गोरखनाथ मंदिर गेट पर तैनात सुरक्षाकर्मियों पर जानलेवा हमला किया था। इस दौरान वह धार्मिक नारे भी लगा रहा था। बांका से किए गए हमले में कई जवान घायल हो गए थे। उसे किसी तरह काबू करने के बाद गोरखनाथ थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया था। अगले दिन इसका कनेक्शन आतंकी गतिविधियों से मिलने पर मामला एटीएस व खुफिया एजेंसियों तक पहुंचा।

उसे अदालत ने एक सप्ताह के लिए पुलिस कस्टडी रिमांड में भेजा था। शासन ने मुकदमे की विवेचना एटीएस को सौंप दी थी। मुर्तजा को लेकर एटीएस उसके घर पहुंची तो कमरे से डोंगल व एयरगन मिला था। इसके बाद मुर्तजा पर यूएपीए (गैर कानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम) में धाराएं बढ़ा दी गई थी।

दस महीने चले मुकदमे में अभियोजन की ओर से 27 गवाह पेश किए गए। इसके बाद आरोपी का बयान दर्ज किया गया। अदालत ने आरोपी के अधिवक्ता (एमिकस क्यूरी) एवं अभियोजन की अंतिम बहस सुनने के बाद आरोपी को 27 जनवरी को जेल से तलब किया और उसे धारा 16/18/ 20 एवं 40 के तहत भी दोषी करार दिया है।

2002 सवालों का एक जवाब,‘दिमागी रूप से बीमार हूं’

अभियोजन पक्ष के मताबिक मुकदमे में कुल 27 गवाह पेश किए गए। अभियोजन साक्ष्य समाप्त होने के उपरांत अभियुक्त मुर्तजा अब्बासी से धारा 313 के अंतर्गत 2002 प्रश्न पूछे गए। हर प्रश्न के जवाब में अभियुक्त ने मात्र एक जवाब दिया कि वह दिमागी रूप से बीमार है।

घायल सिपाहियों की गवाही बनी सजा का आधार

घटना के समय गोरखनाथ मंदिर की सुरक्षा ड्यूटी में तैनात पीएसी के जवान अनिल कुमार पासवान एवं उसके साथी के अलावा घायलों का मेडिकल करने वाले चिकित्सक व एक महिला कांस्टेबल की गवाही महत्वपूर्ण रही। अभियुक्त के उक्त बयान के चलते उसके द्वारा अपने बचाव में स्वयं को बचाव साक्षी के रूप में पेश नहीं किया जा सका।

बताया गया है कि अभियुक्त ने उच्च न्यायालय के समक्ष अपनी जमानत अर्जी में भी दिमागी रूप से बीमार होने का कथन किया था। परंतु बीमारी से संबंधित ठोस सबूत पेश न करने के कारण उसकी जमानत निरस्त कर दी गई थी।

आईआईटी मुम्बई से केमिकल इंजीनियर है सिरफिरा

मुर्तजा चार अप्रैल 2022 को गोरखनाथ मंदिर के मुख्य दक्षिणी गेट पर तैनात सुरक्षाकर्मियों पर मुर्तजा ने धारदार हथियार से हमला कर दिया था। उसकी गतिविधियां आपत्तिजनक थीं। वह कुछ संदिग्ध खातों में पैसा ट्रांसफर कर रहा था। इसी वजह से सबसे पहले एजेंसियों के रडार पर आया था। यही वजह थी कि मुर्तजा के घर तस्दीक करने जब एटीएस के सिपाही पहुंचे तो उसे शक हो गया और वह गोरखपुर स्थित अपने घर से गायब हो गया था।

आईआईटी मुम्बई से केमिकल इंजीनियरिंग करने वाला मुर्तजा अब्बासी इतना शातिर था कि जब उसे भनक लगी कि वह एजेंसियों के हाथों पकड़ा जा सकता है तो उसने पहले भागने की कोशिश की बाद में प्लान बदलते हुए गोरखनाथ मंदिर की सुरक्षा में लगे पुलिसवालों पर हमला कर दिया। वह न सिर्फ पुलिसवालों की हत्या करना चाहता था बल्कि पुलिस की गोली से खुद को मारे जाने के बाद शहीद होने का भी प्रयास किया था। पुलिस ने उसके मंसूबे को कामयाब नहीं होने दिया।

सोशल मीडिया पर था सक्रिय फेसबुक पर छह आईडी

मुर्तजा अब्बासी सोशल मीडिया पर भी बेहद सक्रिय था। फेसबुक पर उसकी छह आईडी और करीब एक हजार दोस्त थे। उसके मित्रों में अधिकांश विदेशी या महाराष्ट्र के थे। गोरखपुर व आसपास के जिलों में उसका कोई मित्र नहीं मिला। इंस्टाग्राम, टेलीग्राम व ट्विटर पर भी मुर्तजा का एकाउंट था।

इसके पासवर्ड लंबे और बेहद जटिल थे, जो उसे याद थे। पुलिस का कहना था कि जिसे इतने नंबर याद हों, वह मानसिक रूप से बीमार नहीं हो सकता। उसके पास कई एटीएम कार्ड मिले थे। वह कई खातों में रुपये भेजता था। उसके संबंध भारत विरोधी गतिविधि में लिप्त संगठनों से होने की आशंका जताई गई थी।

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