बिलासपुर

महाराणा प्रताप की ऊंचाई 7 फीट 5 इंच…वजन 110 किलो से ज्यादा..उनके भाले का वजन…जानें.. जयंती पर..इस शूरवीर योद्धा…

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(शशि कोन्हेर) :महाराणा प्रताप भारतीय इतिहास के सबसे मजबूत हिम्मती, साहसी और फुर्तीले योद्धाओं में से एक थे। उनके शरीर, उनकी सफलता और उनका युद्ध कौशल इतना जबरदस्त था कि लोग आज भी जानकर दांतों तले उंगलियां दबा लेते हैं। महाराणा प्रताप ने मुगल आक्रांता बहलोल खान को तलवार के एक ही बार में उसके घोड़े समेत दो टुकड़े कर दिया था। उनकी ऊंचाई 7 फीट 5 इंच की। वे अपने प्रिय घोड़े चेतक पर जब सवार होते थे। उस समय उनके हाथ में जो भाला रहा करता था उसका वजन 80 किलो था। इस वाले के अलावा महाराणा प्रताप युद्ध के मैदान में 208 किलो वजन की दो तलवारें हमेशा अपने साथ रखा करते थे। जिस कवच को पहनते थे उसका वजन 72 किलो था।। जबकि महाराणा प्रताप का स्वयं का वजन 110 किलो से भी ज्यादा था। सोचा जा सकता है कि इतने वजन के हथियारों को लेकर वह युद्ध क्षेत्र में कैसे भीषण रण संग्राम करते होंगे। ऐसे महान योद्धा महाराणा प्रताप को अगर हम…न भूतो और न भविष्यति…कहें तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। मतलब उनकी तरह का योद्धा ना पहले कभी हुआ है और ना आगे कभी होगा। देश के इतिहास में प्रसिद्ध हल्दीघाटी का युद्ध 18 जून 1576 को हुआ था। किस युद्ध के बारे में हमारे देश के इतिहास में अभी तक यह गलत बात पढ़ाई जाती थी कि इसमें अकबर की विजय हुई थी। जबकि अब ऐतिहासिक तथ्यों तथा सत्यता की कसौटी पर घटनाओं को कसने के बाद यह साबित हो चुका है कि हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप की जीत हुई थी।

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इस युद्ध को लेकर हुए शोध और अनुसंधान का ही यह नतीजा है कि राजस्थान एजुकेशन बोर्ड को अब 441 साल पहले हुए इस युद्ध के बारे में स्कूली किताबों में यह बदलाव करना पड़ा की हल्दीघाटी की लड़ाई महाराणा प्रताप ने ही जीती थी। महाराणा प्रताप की ताकत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने बहलोल खान को दौड़ा-दौड़ा कर पकड़ा और तलवार के एक ही वार से घोड़े समेत उसके दो टुकड़े कर दिए।

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हल्दीघाटी के भयंकर युद्ध में मान सिंह की अगुवाई में अकबर की 80 हजार की फौज थी। जबकि महाराणा प्रताप के पास 20 हजार जांबाज योद्धाओं की फौज की। लेकिन संख्या में लगभग 4 गुना कम होने के बावजूद महाराणा प्रताप और उनके जांबाज योद्धाओं ने भयंकर संग्राम किया। मुगलों की फौज को गाजर मूली की तरह काटा। उनके प्रिय घोड़े चेतक के चरणों में श्रद्धा पुष्प अर्पित किए बिना हमारे देश के इस महान रणबांकुरे की शौर्य गाथा अधूरी ही रहेगी।

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हल्दीघाटी के किस युद्ध क्षेत्र में चेतक की विशाल प्रतिमा के प्रति वहां के लोगों का सम्मान और श्रद्धा सारी कहानी बयां कर देती है। यह तथ्य और सत्य है कि मुगल सेनापति मानसिंह शेख कुपित महाराणा प्रताप में जब चेतक को ऐड लगाई तो उसने अपने दोनों पैर मानसिंह के हाथी के मस्तक पर रख दिए। इसके साथ ही महाराणा प्रताप ने पूरे जोर से भले का वार मानसिंह पर किया। उसके प्राण पखेरू वही उड़ जाते यदि वह हाथी पर रखे हौदे के पीछे छुप ना गया होता।


हमारे देश के ऐसे महानतम योद्धा महाराणा प्रताप को जयंती के अवसर पर हमारा शत-शत नमन.. जब तक यह धरती रहेगी सूरज चांद रहेंगे तब तक महाराणा प्रताप की कीर्ति पताका लहराती रहेगी।

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