देश

CRPF बटालियन पर कुकी उग्रवादियों ने किया हमला, 2 जवान शहीद..

Advertisement

मणिपुर से फिर हिंसा की खबरें सामने आ रही हैं। नारानसेना इलाके में शनिवार को आधी रात से लेकर 2:15 बजे तक कुकी उग्रवादियों ने केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) पर घात लगाकर लगातार हामले किए। इस हमले में दो जवानों की जान चली गई। मणिपुर पुलिस ने कहा कि ये जवान राज्य के बिष्णुपुर जिले के नारानसेना इलाके में तैनात सीआरपीएफ की 128वीं बटालियन के हैं।

Advertisement
Advertisement

इससे पहले मणिपुर के कांगपोकपी जिले में बीते बुधवार को एक शक्तिशाली विस्फोटक उपकरण (आईईडी) में विस्फोट होने से इंफाल-माओ राजमार्ग का पुल क्षतिग्रस्त हो गया, जिसके कारण राजमार्ग पर वाहनों की आवाजाही पूरी तरह से रोक दी गयी। पुलिस ने कहा कि इंफाल-माओ राजमार्ग पर आवाजाही पूरी तरह से रोक दी गई और पुल के दोनों ओर लगभग 200 वाहन फंसे हुए हैं।

Advertisement

पुलिस के मुताबिक, विस्फोट से पुल में करीब तीन छेद हो गए। गौरतलब है कि तीन मई 2023 से अलग-अलग समय पर विभिन्न कुकी संगठनों द्वारा राजमार्ग को अवरुद्ध कर दिया गया है और मैतेई लोगों की आवाजाही रोक दी गई थी। फिलहाल यह पता नहीं चल पाया है कि धमाके के पीछे किसका हाथ है।

Advertisement

यह विस्फोट जातीय हिंसा प्रभावित राज्य में 26 अप्रैल को लोक सभा चुनाव के लिए दूसरे चरण में होने वाले मतदान से कुछ दिन पहले हुआ था। इससे पहले 16 अप्रैल को तामेंगलांग में तेल टैंकरों पर संदिग्ध कुकी उग्रवादियों द्वारा गोलीबारी के बाद इंफाल से जिरीबाम राजमार्ग पर आवाजाही बाधित हुई थी।

मई 2023 में मणिपुर में संकट शुरू होने के बाद कांगपोकपी में हुआ विस्फोट वाहनों और लोगों की आवाजाही को रोकने के लिए बम विस्फोट की दूसरी घटना थी।

इसके पहले 21 जून, 2023 को, संदिग्ध कुकी उग्रवादियों ने बिष्णुपुर जिले के क्वाक्टा में एक पुल पर आईईडी विस्फोट किया था, जिसमें तीन लोग घायल हो गए थे। इस घटना की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने की थी और मुख्य साजिशकर्ता की पहचान सेमिनलुन गंगटे के रूप में की गई थी, जिसने विस्फोट की घटना को अंजाम देने के लिए मोहम्मद नूर हुसैन नामक व्यक्ति के साथ काम किया था।

गैंगटे ने कथित तौर पर एक चार पहिया वाहन में बम रखा था, जिसे हुसैन चला रहा था। इन दोनों पर भारतीय दंड संहिता, गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए), विस्फोटक पदार्थ अधिनियम 1908 और सार्वजनिक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम, 1984 की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप लगाए गए थे।

Advertisement

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button