रायपुर

52 साल हो गये मेरे पास अपना घर नही हैं, ये बोलते हुए भावुक हुए राहुल गांधी…..देखिये वीडियो

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रायपुर – कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कांग्रेस पार्टी के महाधिवेशन को संबोधित करते हुए इमोशनल कार्ड खेल दिया। उन्होंने 1977 का एक किस्सा सुनाया, जिसे सुनकर उनकी मां सोनिया गांधी भी भावुक हो गईं। राहुल ने कहा कि मैं 52 साल का हो गया, लेकिन आज भी मेरे पास अपना घर नहीं है। यह बताने के लिए उन्होंने एक पुरानी घटना का सहारा लिया। राहुल ने कहा, ‘1977 की बात है। मैं छोटा था। देश में चुनाव होने वाले थे। घर पहुंचा तो अजीब माहौल था। मैं ने मां से पूछा तो बोली कि हम घर छोड़ रहे हैं।’

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राहुल ने आगे कहा, ‘तब तक मैं यह सोचता था कि यह घर हमारा है। मैंने घर छोड़ने का कारण पूछा तो मां ने मुझे पहली बार बताया कि यह घर हमारा नहीं है। यह सरकार का घर है। हमें यहां से जाना होगा। मैंने पूछा कहां जाना है तो उन्होंने कहा कि यह मुझे नहीं मालूम। आज 52 साल हो गए। आज भी हमारे पास अपना घर नहीं है।’

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राहुल गांधी ने रविवार को कहा कि अडाणी समूह से जुड़े मामले की सच्चाई सामने आने तक उनकी पार्टी सवाल पूछती रहेगी। उन्होंने पार्टी के 85वें अधिवेशन में संबोधन के दौरान आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उद्योगपति गौतम अडाणी एक ही हैं। राहुल गांधी ने भविष्य में “भारत जोड़ो यात्रा” की तरह के किसी अन्य कार्यक्रम का संकेत देते हुए कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे “तपस्या” का कार्यक्रम बनाएं, उसमें सभी लोग शामिल होंगे। कांग्रेस नेता ने दावा किया कि कांग्रेस के लोग सत्याग्रही हैं, जबकि भाजपा-आरएसएस के लोग “सत्ताग्रही” हैं।

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राहुल गांधी ने अडाणी मामले का उल्लेख करते हुए आरोप लगाया कि अडाणी और मोदी एक ही हैं और पूरा धन एक ही व्यक्ति के पास जा रहा है। उन्होंने कहा, “संसद की कार्यवाही से हमारी बातों को हटा दिया गया..हम सवाल पूछते रहेंगे। हम एक बार नहीं, हजार बार सवाल पूछेंगे। जब तक अडाणी जी की सच्चाई नहीं सामने आएगी तब तक सवाल पूछते रहेंगे।”

राहुल गांधी ने महाधिवेशन में कहा कि नरेंद्र मोदी जी ने श्रीनगर में भाजपा के महज 15-20 लोगों के साथ तिरंगा फहराया था, लेकिन हमने कश्मीर के लाखों युवाओं के जरिये तिरंगा फहराया। उन्होंने चीन के संदर्भ में विदेश मंत्री एस. जयशंकर के एक बयान का हवाला देते हुए कहा, ”जो आपसे कमजोर है उससे ही लड़ोगे तो इसे कायरता कहा जाता है, यह राष्ट्रवाद नहीं है।”

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