बिलासपुर

क्या मुर्दों का शहर हो गया है बिलासपुर-सेंदरी में तीन बच्चियों की मौत के जिम्मेदार खनिज विभाग के अधिकारियों और अवैध उत्खनन ने लगे माफिया को कौन बचा रहा है..?

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(शशि कोन्हेर) : बिलासपुर। प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अवैध उत्खनन के खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाही की घोषणा कर चुके हैं। उनके द्वारा अवैध उत्खनन की शिकायत आने पर संबंधित जिले के कलेक्टर और खनिज विभाग के अधिकारियों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई करने की बात कही गई थी। बिलासपुर से 11 किलोमीटर दूर सेंदरी गांव में खनिज माफिया के द्वारा अरपा नदी से अवैध रूप से रेत निकालने के लिए किए गए गड्ढे में डूब कर तीन बच्चियों की मौत हो गई। तब फिर इसके लिए जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई की गाज क्यों नहीं गिर रही है।

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प्रदेश का कोई और शहर या जिला होता तो इतने बड़े और हृदयविदारक हादसे पर वहां के राजनीतिक दलों के नेता और सामाजिक संगठनों के पदाधिकारी बवाल मचा देते। वहां की जनता भी आंदोलनों का तूफान खड़ा कर देती। लेकिन इतना पीड़ादायक हादसा होने के बाद भी बिलासपुर में छाया सन्नाटा देखकर ऐसा डर लगने लग गया है कि कहीं बिलासपुर “मुर्दों का शहर” तो नहीं हो गया है। ऐसा लगता है कि शासन और प्रशासन की संवेदनहीनता के लोग कारण बिलासपुर के इतना हताश और निराश हो चुके हैं कि अब उन्होंने ऐसे समस्त हादसों पर आपराधिक सन्नाटा ओढने का मन ही बना लिया है।

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उठते नहीं है अब तो दुआ के लिए भी हाथ
इस तरहां ना उम्मीद हैं हम, परवरदिगार से

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सेंदरी में तीन बच्चियों की मौत के बाद वहां शोक जताने पहुंचे शाकंभरी बोर्ड के अध्यक्ष श्री रामकुमार पटेल ने जो कुछ कहा वह बिलासपुर के लोगों के मुंह पर तमाचा है। उन्होंने कहा कि इतनी बड़ी घटना के बाद बिलासपुर में छाया सन्नाटा बहुत अफसोस की बात है। अगर अधिकारी+माफिया
+नेता तथा ठेकेदारों के गठजोड़ के खिलाफ लोगों का मौन इसी तरह जारी रहा तो बिलासपुर की जनता के कल्याण का भगवान ही मालिक है। शाकंभरी बोर्ड के अध्यक्ष श्री राम कुमार पटेल ने इस मामले में जो कुछ कहा हम उनसे 100 फ़ीसदी इत्तेफाक रखते हैं। साल के 12 महीने और चौबीसों घंटे राजनीतिक तथा सामाजिक कारणों से अरपा नदी को अरपा मैया कहने और उसकी आड़ में अपना हित साधने वाले नेता भी इस घटना के बाद अपने मुंह में ताले लगाए बैठे हैं।

केवल एक मीडिया ही है जो चीख चीख कर सेंदरी की घटना की सच्चाई बता रहा है। तीन तीन बच्चियों की मौत के लिए कौन जिम्मेदार है यह भी बता रहा है। लेकिन बिलासपुर में चल रहा नेताओं माफिया और ठेकेदारों का गठजोड़ शायद मीडिया की चीख चिल्लाहट को भी अरण्यरोदन या कहें नक्कारखाने की तूती बनाने पर अमादा है। किसी ने सच कहा है जो सो रहा है उसे जगाया जा सकता है। लेकिन जो सोने का नाटक कर रहा है उसे आप कैसे जगाएंगे..? ऐसा लगता है कि सभी के अपने अपने हित, उन्हें इस बात के लिए मजबूर कर रहे हैं कि वे अपने मुंह पर ताले लगाए रखें और सिंदरी की ह्रदयविदारक घटना को लेकर शोर मचाने या कुछ भी बोलने की बजाय गहरी नींद में सोने का नाटक करें।

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