वन, वन्य प्राणी की सुरक्षा की अपील, वन अमला पहुँचा गाँव तक
(दिलीप जगवानी) : बिलासपुर/ वन विभाग बिलासपुर वनमंडल के द्वारा सम्पूर्ण वनपरिक्षेत्र में दिनांक 02 से 08 अक्टूबर तक वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग छत्तीसगढ़ शासन के निर्देशानुसार वन्य प्राणी संरक्षण सप्ताह मनाया गया। वनमंडलाधिकारी कुमार निशांत के नेतृत्व में आम जन समुदाय एवं ग्रामीणों को वन एवँ वन प्राणियों की सुरक्षा हेतु मोटर साइकिल रैली निकाला गया। मोटर साइकिल रैली को वनमंडलाधिकारी द्वारा हरी झंडी दिखाकर वनमंडल कार्यालय से रवाना किया गया। वन परिवार ने नेहरू चौक, सीपत रोड सरकंडा, बैमा नगोई,धौरामुड़ा, लिमहा, कोरबी ,बांका, खोद्रा, सोंठी का भ्रमण किया। वन अमला अपने पूरे गड़वेश में वर्दी में दिखे ,लोगो को हरे- भरे पेड़ पौधों की कटाई नही करने ,हरे- भरे पेड़ -पौधों की छाल नही निकालने,बिना किसी वैध कागजात के लकड़ी परिवहन नही करने,बिना अनुमति के लकड़ी चिरान नही करने,तथा लकड़ी का अवैध व्यापार नही करने की समझाईस दिया गया । वन के किसी भी वृक्ष को यदि किसी भी ब्यक्ति के द्वारा नुकसान करते पाए जाने पर भारतीय वन अधिनियम 1927 की धारा 26,33,52 एवं छत्तीसगढ़ व्यापार विनियमन अधिनियम 1969 की धारा 5,15,काष्ठ चिरान अधिनियम 1984 ,वनोपज अभिवहन नियम 2001तथा लोक सम्पत्ति क्षति निवारण अधिनियम 1984 के तहत दंडात्मक कार्यवाही की जाने की चेतावनी दी गई। इस अधिनियम का उल्लंघन करने पर 3 से 5 साल तक सजा का प्रावधान के बारे में बताया गया। वन्य जीवों की सुरक्षा के संबंध में सभी आम जनों को विस्तार से बतलाया गया कि वन्य जीव हमारे प्रकृति के अमूल्य धरोहर है जिसकी सुरक्षा वनविभाग के अलाव सभी का दायित्व व परम कर्तब्य है। सभी आम जनता से अनुरोध किया गया कि वनविभाग को सहयोग प्रदान करे। वन्य जीव तोता,कछुआ, चीतल,जंगली सुअर, हिरन,भालू,मोर,आदि वन्य जीवों को किसी भी प्रकार से हानि -क्षति नही पहुचाने, उनको बंधक नही बनाने , वन्य जीवों का अवैध शिकार नही करने की हिदायत व समझाईश दी गई। किसी भी व्यक्ति के द्वारा यदि किसी भी प्रकार से वन्य जीवों को नुकसान पहुंचाया जाता हैं तो वन विभाग वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 2,9,39,41,50,के तहत दंडात्मक कार्यवाही की जावेगी । वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 का उल्लंघन करने पर 5 साल की सजा का प्रावधान होना बताया गया।
वन विभाग द्वारा वन एवँ वन प्राणी की सुरक्षा हेतु लुथरा पहुंच कर बाबा इंसान अली के दरगाह में मत्था टेककर,चादर चढ़ाया गया।
वन है , तो कल है ,
वन है , तो जीवन ।