मराठा कोटे पर एकनाथ शिंदे सरकार को आज मिल सकती है राहत….
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(शशि कोन्हेर).: मराठा आरक्षण की मांग को लेकर अनशन पर बैठे मनोज जरांगे आज अपनी भूख हड़ताल समाप्त कर सकते हैं। यह घटनाक्रम आरक्षण के मुद्दे पर महाराष्ट्र सरकार द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक और आंदोलनकारियों पर लाठीचार्ज के आरोपी तीन वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के निलंबन के बाद सामने आया है।
इस महीने की शुरुआत में हुए आंदोलन में आंदोलनकारियों के खिलाफ दर्ज मामलों को राज्य सरकार द्वारा वापस लेने और अधिकारियों पर कार्रवाई की घोषणा के बाद, जारांगे-पाटिल ने चिकित्सा उपचार लेना शुरू कर दिया है। उम्मीद है कि वह आज दोपहर को अपनी अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर अंतिम फैसला लेंगे।
मंगलवार सुबह एक सरकारी प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक के बाद, जारांगे-पाटिल ने दोहराया कि वह ग्रामीणों और समुदाय के नेताओं से मिलेंगे, उसके बाद आंदोलन की समाप्ति की घोषणा की जाएगी।
दक्षिणपंथी नेता मनोहर उर्फ संभाजी भिड़े ने मंगलवार सुबह जालना के अंतरवाली-सारथी गांव में जारांगे पाटिल से मुलाकात की और आंदोलन और आरक्षण की मांग को अपना समर्थन दिया। भिड़े ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़णवीस और अजित पवार की प्रशंसा की और कहा कि तीनों आरक्षण देने के लिए प्रतिबद्ध हैं और वे समुदाय को धोखा नहीं देंगे।
उन्होंने यह भी कहा कि वह जारांडे-पाटिल के साथ खड़े रहेंगे और सुनिश्चित करेंगे कि सरकार अपनी बात रखे। भिड़े ने कहा, “लड़ाई लड़ते समय कभी-कभी जीत सुनिश्चित करने के लिए पीछे आने की ज़रूरत होती है।जारांगे-पाटिल को अपनी लड़ाई जारी रखनी चाहिए लेकिन अपनी भूख हड़ताल वापस ले लेनी चाहिए।”
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने सोमवार को जारांगे के नेतृत्व में चल रहे मराठा आरक्षण आंदोलन की पृष्ठभूमि में मुंबई में एक सर्वदलीय बैठक की अध्यक्षता की थी। शिंदे ने बाद में कहा कि बैठक में सभी दलों ने एक प्रस्ताव पारित कर जारांगे से अपना अनशन वापस लेने का अनुरोध किया। इसके बाद सीएम ने जालना जिले में मराठा आरक्षण समर्थक प्रदर्शनकारियों के खिलाफ दर्ज पुलिस मामलों को वापस लेने की भी घोषणा की।
मुख्यमंत्री ने इस महीने की शुरुआत में जालना में आरक्षण आंदोलनकारियों पर लाठीचार्ज में शामिल तीन पुलिस अधिकारियों को निलंबित करने की भी घोषणा की मंगलवार को राज्य के मंत्री संदीपन भुमरे और जालना से शिवसेना नेता अर्जुन खोतकर ने जारांगे से मुलाकात की और सर्वदलीय बैठक में पारित प्रस्तावों को साझा किया था। इसके बाद हिंदुवादी नेता संभाजी भिड़े ने भी जारांगे से मुलाकात की और उनसे अपना अनशन वापस लेने का अनुरोध किया था।
शिंदे ने सोमवार को कहा था, “महाराष्ट्र एक प्रगतिशील राज्य है। हम सभी समुदायों के बीच सद्भाव और शांति चाहते हैं। सभी दलों ने एक प्रस्ताव पारित कर मनोज जारांगे से अपना अनशन वापस लेने का अनुरोध किया है। मैं व्यक्तिगत रूप से उनसे अपना अनशन समाप्त करने का अनुरोध करता हूं। राज्य सरकार को (कोटा मुद्दे पर) निर्णय लेने की प्रक्रिया पूरी करने के लिए समय चाहिए।”
बता दें कि राज्य सरकार ने फैसला किया है कि निजाम शासन में कुनबी समुदाय का प्रमाण पत्र देने वाले मराठों को ओबीसी का दर्जा दिया जाएगा। इस पर जारांगे ने आपत्ति जताई थी और कहा था कि निजाम युग का प्रमाण पत्र हासिल करना बहुत कठिन होगा।
इस समस्या के निजात के लिए यानी निज़ाम में कुनबी (अब ओबीसी का हिस्सा) कहे जाने वाले मराठा समुदाय के सदस्यों को जाति प्रमाण पत्र देने के लिए कानूनी और प्रशासनिक ढांचे सहित मानक संचालन प्रक्रिया निर्धारित करने के लिए सरकार ने न्यायाधीश संदीप शिंदे (सेवानिवृत्त) की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय पैनल का गठन किया है। समिति मराठवाड़ा क्षेत्र के मराठों को ओबीसी श्रेणी के तहत कोटा लाभ प्राप्त करने में मदद करेगी।
सीएम ने कहा, राज्य सरकार द्वारा गठित समिति काम पर लग गई है और उसे अपना काम पूरा करने के लिए कुछ समय चाहिए। जस्टिस शिंदे समिति ने भी अपनी पहली बैठक की है और रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए एक महीने का समय मांगा है। सरकार जारांगे की ज्यादातर मांगों पर सहमत भी हो गई है। सीएम शिंदे ने कहा, “मैं विरोध कर रहे लोगों से अपना आंदोलन खत्म करने की अपील करता हूं। जारांगे कोई व्यक्तिगत मांग नहीं कर रहे हैं…वह अपने समुदाय के लिए ऐसा कर रहे हैं, लेकिन (कोटा) मुद्दे को हल होने में कुछ समय लगेगा।”