छत्तीसगढ़

भाजपा की आरक्षण विरोधी नीति के चलते 43 वे दिन भी आरक्षण बिल पर राजभवन में हस्ताक्षर नहीं हुआ- मोहन मरकाम

(शशि कोन्हेर) : प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि भाजपा की आरक्षण विरोधी नीति के चलते 43 वें दिन भी आरक्षण बिल पर राजभवन में हस्ताक्षर नहीं हो पाया। भाजपा नहीं चाहती प्रदेश के आदिवासी वर्ग को 32 प्रतिशत ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत एससी वर्ग को 13 प्रतिशत और ईडब्ल्यूएस वालों को 4 प्रतिशत आरक्षण का लाभ हम मिले 2 दिसंबर को विधानसभा के विशेष सत्र में आरक्षण भी पारित हुआ था उसी दिन राजभवन में हस्ताक्षर हेतु भेजा गया लेकिन आज भी आरक्षण बिल पर हस्ताक्षर नहीं होना दुर्भाग्य जनक है।

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आरक्षण बिल में हस्ताक्षर नहीं होने के चलते प्रदेश के इंजरिंग कॉलेज ,फार्मेसी सहित कई शैक्षणिक संस्थानों के सीट आज रिक्त पड़ी हुई है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि भाजपा जिस राज्य में सत्ता में नहीं होती है और राजनीतिक तौर पर सत्ताधारी दल से सामना नहीं कर सकती उस राज्य में भाजपा राजभवन के पीछे छिपकर राजनीतिक षड्यंत्र करती है। महाराष्ट्र, कर्नाटक, गोवा, मध्यप्रदेश, झारखंड, पश्चिम बंगाल, दिल्ली सहित गैर भाजपा शासित राज्यों में जिस प्रकार से राजभवन की भूमिका है पूरा देश देख रहा है।

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प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि आरक्षित वर्ग भाजपा के इस चरित्र को पहचान चुकी है। जिस प्रकार से केंद्र की सरकार सरकारी संस्थाओं का निजीकरण कर रही है उनका मूल उद्देशय सरकारी सेवाओं से आरक्षण को खत्म करना है और आरक्षित वर्ग का शोषण करना है। भाजपा की हिडन एजेंडा है चंद पूंजीपतियों के हाथों में पूरे देश की संपत्ति और जनता को सौंपना और आरक्षित वर्ग  मजबूत होगा नेतृत्व करेगा अपना अधिकार मांगेगा तो भाजपा अपने एजेंडा को पूरा करने में नाकाम और नकारा साबित होगी। इसीलिए भाजपा हर स्तर पर आरक्षण को रोकना चाहती है और आरक्षित वर्गों को उनके अधिकार से वंचित रखना चाहती है।

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प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि भाजपा से जुड़े आरक्षित वर्ग के नेताओं को अपने समाज के सामने अपनी मनसा को स्पष्ट करना चाहिए कि वह 76 प्रतिशत आरक्षण के पक्ष में हैं कि विरोध में है अगर पक्ष में है तो वह कब राजभवन जाकर उस आरक्षित बिल पर हस्ताक्षर कर आएंगे यदि आरक्षण बिल पर हस्ताक्षर नहीं करा सकते तो उन्हें भाजपा में रहने का अधिकार नहीं है।

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