क्या भाजपा अपने ही सांसद, वरुण गांधी और मेनका गांधी से पीछा छुड़ाना चाहती है..या मां-बेटे अब भाजपा से किनारा करने जा रहे हैं..!!
(शशि कोन्हेर) : बीते कुछ दिनों से जिस तरह वरुण गांधी एक के बाद एक भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ अपने विचारों को सार्वजनिक करते जा रहे हैं उससे पार्टी के दिग्गज नाराज चल रहे हैं। ना केवल किसान आंदोलन के संदर्भ में बीते दो-चार दिनो से उनके द्वारा ट्विटर पर जिस तरह पार्टी को घेरने और उस पर हमला करने के ट्वीट डाले जा रहे हैं। वरन इसके पहले भी समय-समय पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को उनके द्वारा विभिन्न मसलों पर सरकार को मुश्किल में डालने वाले पत्र लिखकर, इन पत्रों को सार्वजनिक किया जाता रहा है। वरुण गांधी के इस रवैया को भाजपा अपने अनुशासन की मर्यादा का उल्लंघन मान रही है। शायद इसीलिए आज जब भारतीय जनता पार्टी के द्वारा राष्ट्रीय कार्यकारिणी की घोषणा की गई। केंद्रीय मंत्री श्रीमती मेनका गांधी और वरुण नेहरू को भाजपा कार्यकारिणी से अलग कर दिया गया है।। वरुण गांधी और मेनका गांधी को आज ही घोषित हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी में ना रखा जाना इसी दिशा में संकेत दे रहा है कि इन दोनों के मामले में भाजपा अब असहज महसूस कर रही है। जबकि नव घोषित कार्यकारिणी में भाजपा में शामिल हुए केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया तथा मिथुन चक्रवर्ती को कार्यकारिणी में ससम्मान शामिल कर लिया गया है। शायद किसी की प्रतिक्रिया स्वरूप वरुण गांधी ने अपने ट्विटर से भाजपा को अलग कर दिया है।ये तमाम घटनाक्रम यह बता रहा है कि या तो भारतीय जनता पार्टी ने श्रीमती मेनका गांधी और वरुण गांधी से पिंड छुड़ाने की तैयारी कर ली है या फिर श्रीमती मेनका गांधी और वरुण गांधी ने भाजपा से बाहर निकलने का मूड बना लिया है। भाजपा कार्यकारिणी में वरुण और मेनका को जगह न दिये जाने तथा वरुण गांधी द्वारा लगातार भाजपा की घेराबंदी करने से, ऐसे ही संकेत मिल रहा है।