बिलासपुर

जिला पंजीयन विभाग राजस्व टारगेट से पिछड़ गया….यह बना कारण…!

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(दिलीप जगवानी के साथ सतीश साहू) : बिलासपुर – काँग्रेस शासन मे भू माफियाओ ने अवैध प्लाटिंग मे जमकर चांदी काटी जिससे पूरे पांच सालों मे सरकार को भरपूर राजस्व मिला. प्रदेश मे सरकार बदलते ही इस गोरखधंधे पर रोक लगा दी गई नतीजा संपत्ति की खरीदी बिक्री से मिलने वाला राजस्व घट गया.

जिले का पंजीयन विभाग इस साल अपने लक्ष्य को पूरा नहीं कर पाया. जबकि बिलासपुर जिला संपत्ति की खरीदी बिक्री से राजस्व देने के मामले मे पूरे प्रदेश मे दूसरा स्थान रखता है. बताया जा रहा कच्ची प्लाटिंग पर रोक लग जाने से साल के अंत मे इस पर ब्रेक लगा. यही पिछड़ने का कारण बना. रजिस्ट्री कराने आए लोगों से साल भर गुलजार रहने वाला पंजीयन कार्यालय मे मार्च लगने से पहले ही रौनक गायब थी. यहां अधिकांश स्टाम्प वेंडर, दस्तावेज लेखक खाली बैठे हैं. जहाँ पैर रखने जगह नहीं होती वहां सूनापन है। वित्तीय वर्ष के आखिरी दिन भी रजिस्ट्री कराने वालों की संख्या ना के बराबर दिखी. इस साल विभाग अपने लक्ष्य से करीब 36 करोड़ से पीछे रह गया. एक दशक मे ऐसा पहली बार हुआ है. इससे पहले वह दिए गए टारगेट से अधिक राजस्व हासिल करता आया है.

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छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार बनते ही सबसे पहले अवैध प्लाटिंग पर अपनी नजरे टेढ़ी की और ऐसा करने वालों के खिलाफ लगातार कारवाही कर इन खसरा नंबर के जमीनों की ख़रीदी बिक्री पर रोक लगा दी, खरीदी बिक्री पर रोक लगाना, प्लाटिंग करने वाले जमीन मालिकों पर FIR और मौके पर तोड़फोड़ की कार्यवाही, लगातार देखने को मिली जिसकी वजह से खरीदार और विक्रेता के बीच दूरी बन गई. यहां तक की नवनिर्वाचित जन प्रतिनिधि भी अपने विकास के मुद्दों को भूलाकर कच्ची प्लाटिंग करने वालों पर कार्यवाही के लिए प्रशासन और नगर निगम पर दबाव बनाया.

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नतीजा शहर और उसके आसपास की जमीनों पर अवैध प्लाटिंग करने वालों कि कमर टूट गई। जिला प्रशासन ने अधिकांश क्षेत्रों में इस पर रोक लगाने में कामयाबी पाई। नतीज़ा पिछले चार महीने से क्रेता विक्रेता की संख्या कम होती गई. टार्गेट के नजदीक पहुंचने की तमाम विभागीय कोशिशे बेकार साबित हुई.

सरकार के निर्देश और उसे पूरा करने राजस्व विभाग नगर निगम का पूरा अमला कई महीनों से लगा रहा जिससे अपेक्षित राजस्व पर रोक लगी और जिला पंजीयन विभाग लक्ष्य पूरा नहीं कर सका. 3 सौ 6 करोड़ के मुकाबले वह 2 सौ 70 करोड़ के आसपास ठहर गया. 31 मार्च को जमा सम्पति के दस्तावेजों का पंजीयन अगले कई दिनों तक किया जाता था लेकिन इस साल य़ह नौबत नहीं आयी है.

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