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दिल्ली में कोरोना और स्वाइन फ्लू से हालात हुए कठिन…खतरनाक स्तर तक गिर रहा ऑक्सीजन

(शशि कोन्हेर) : रायपुर – विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी ने 2009 में इसे एक महामारी घोषित किया था। हालांकि WHO ने अगस्त 2010 में कहा था कि यह अब महामारी नहीं रहा। महामारी खत्म होने के बाद कि H1N1 फ्लू वायरस मौसमी फ्लू की वजह बनने वाले स्‍ट्रेन में से एक बन गया। अब स्‍वास्‍थ्‍य विशेषज्ञ दिल्‍ली में कोरोना के अलावा स्वाइन फ्लू के बढ़े केस देख रहे हैं। डॉक्‍टरों का कहना है कि कई मरीजों को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत पड़ रही है।

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फोर्टिस अस्पताल शालीमार बाग के निदेशक और एचओडी (पल्मोनोलॉजी) डॉ. विकास मौर्य ने समाचार एजेंसी आईएएनएस को बताया है कि कुछ मरीजों को एक्स्ट्रा कॉरपोरियल मेम्ब्रेन ऑक्सीजनेशन की आवश्यकता हो सकती है। ऐसे मरीजों की ऑक्सीजन की जरूरत काफी बढ़ जाती है और वेंटिलेटर सपोर्ट के साथ भी पर्याप्त रूप से पूरी नहीं हो पाती है। गौर करने वाली बात यह कि कोरोना और स्वाइन फ्लू दोनों के लक्षण समान नजर आते हैं क्योंकि दोनों श्वसन संक्रमण से जुड़े वायरस हैं।

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वहीं आकाश हेल्थकेयर में क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉ. विशाख वर्मा ने कहा कि मरीजों के सामान्य लक्षणों में बुखार, खांसी, सांस की तकलीफ, थकान, गले में खराश, बहती या भरी हुई नाक, शरीर में दर्द, सिरदर्द, उल्टी, दस्त शामिल हैं। चूंकि स्वाइन फ्लू के लक्षण आम सर्दी और कोविड के समान हैं इसलिए लोग अक्सर इसे शुरुआती चरणों में तब तक गंभीरता से नहीं लेते हैं जब तक कि यह गंभीर नहीं हो जाती है। स्वाइन फ्लू का मरीज आमतौर पर गले में जलन/खराश, नाक और पेट में दर्द के साथ खांसी से गुजरता है।

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डॉ. वर्मा ने कहा कि सांस की तकलीफ का एक अतिरिक्त लक्षण है। कोरोना के समान स्वाइन फ्लू भी बुजुर्गों, गंभीर बीमारियों से जूझ रहे मरीजों और गर्भवती महिलाओं के लिए खतरनाक है। हम इस बारे में लोगों से जागरूक होने की गुजारिश करते हैं। यदि किसी को खांसी, सांस लेने में तकलीफ और ऑक्सीजन लेवल में गिरावट का अनुभव होता है, तो उसे तुरंत अपनी अपनी जांच करानी चाहिए। ऐसे मरीजों को तत्‍काल डॉक्‍टर के पास जाना चाहिए।

डॉ. वर्मा ने कहा कि अब हम उन सभी मरीजों की जांच कर रहे हैं जो श्वसन संबंधी समस्याओं के साथ आ रहे हैं। यहां तक कि हम मरीजों का मल्टीप्लेक्स पीसीआर भी कर रहे हैं। ऐसा सही इलाज की अनुपलब्‍धता और फेफड़ों को गंभीर नुकसान को रोकने के लिए किया जा रहा है। लोगों को हाथ की स्वच्छता के साथ साथ शरीर में जल की पर्याप्‍त मात्रा का ख्‍याल रखना चाहिए। खांसी या छींक की स्थिति में डिस्पोजेबल टिशू का इस्‍तेमाल करें। डॉक्‍टर वर्मा ने लोगों को इस बीमारी के जोखिम से बचने के लिए क्वाड्रिप्लेजिक फ्लू वैक्सीन लगवाने का भी सुझाव दिया।

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