हमसफर एक्सप्रेस में यात्रियों के हमसफर रहते हैं कॉकरोच
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(भूपेंद्र सिंह राठौर) : बिलासपुर। देश की मंहगी ट्रेनों में एक हमसफर का ये कैसा सफर। 10 जून को निजामुद्दीन से चार घंटे रिशेड्यूल होकर दुर्ग के लिए रवाना की गई प्रीमियम ट्रेन लेकर यह पूछा जा रहा है कि लेट पर लेट ऊपर से एसी कोच में काकरोच। बिलासपुर के एक यात्री ने काकरोच को देखकर रात में खाना भी नहीं खाया। इसकी शिकायत रेल प्रशासन करने की बात कही गई है।
हमसफ़र ट्रेन भी हाल बेहाल चल रही है। इस प्रीमियम एक्सप्रेस पर समय के आधार पर फ्लैक्सिबल किराया पालिसी लागू होती है। यानी यह कि हवाई जहाज यात्रा की तरह किराए का निर्धारण होता है। 10 जून को निजामुद्दीन से व्हाया उसलापुर दुर्ग के लिए चलने वाली प्रीमियम ट्रेन हमसफर एक्सप्रेस को निजामुद्दीन स्टेशन से सुबह 11:30 की बजाय दोपहर 3:30 बजे रवाना की गई। रास्ते में यह ट्रेन और विलंब होती रही।
यात्रियों का पूरा शेड्यूल बिगड़ गया। 11 जून को उसलापुर दोपहर 3:30 बजे पहुंची तब यात्रियों की नाराजगी देखने लायक थी। ट्रेन की लेटलतीफी की पीड़ा इसमें सफर करने वाले ही महसूस करते हैं। शब्द केवल उसके दर्द को एक पाठ की तरह बता सकते हैं। देश में चल रही हजारों ट्रेनों के लाखों यात्री यही शिकायतें करते रहते हैं। लेकिन , रेलवे को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता दिख रहा है। इतनी परेशानी के साथ इतना पैसा खर्च करने के बाद यदि एसी कोच में भी काकरोच दिखाई दे तो रेलवे को इस को अपना फेलियर मानते हुए तत्काल सुधार का प्रयास करना चाहिए।
हमसफर के एक बी टाइप एसी कोच में यात्रा कर रहे बिलासपुर के एक यात्री ने 10 जून की रात नौ बजे ग्वालियर के पास खाना आर्डर किया। वह भोजना करना शुरू किए थे कि उन्हें काकरोच दिखाई दिया। जिसे देखकर घिन आई । उन्होंने खाना छोड़ दिया। आसपास के यात्री काकरोच को लेकर रेलवे को कोसते नजर आए। यह छोटी सी घटना बताती है कि रेलवे यात्री ट्रेनों में साफ-सफाई और व्यवस्थाओं को सुधारने के लाख दावे करें। लेकिन, मैदानी हकीकत कुछ और बयां कर जाती है। यात्रियों ने इसकी शिकायत ट्विटर पर तो नहीं की। लेकिन , जानकारी इसलिए दी गई है जिससे रेलवे यात्रियों की समस्याओं को जानने के बाद उनके निराकरण के लिए ठोस प्रयास करें।