छत्तीसगढ़

आदिवासी क्षेत्रों में विकास की नयी रौशनी फैलाएगी, चिराग परियोजना : सीएम भूपेश बघेल

Advertisement

रायपुर – मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज जगदलपुर में चिराग परियोजना का शुभारंभ किया। कुम्हरावंड स्थित शहीद गुण्डाधूर कृषि महाविद्यालय परिसर में आयोजित कृषि मड़ई कार्यक्रम में परियोजना का शुभारंभ करते हुए मुख्यमंत्री श्री बघेल ने विश्व बैंक की सहायता से संचालित होने वाली लगभग 1735 करोड़ रुपए की इस परियोजना को बस्तर के लोगों के जीवन में बदलाव लाने वाली अब तक की सबसे बड़ी परियोजना बताया। मुख्यमंत्री ने कहा कि हर बड़ी योजना का शुभारंभ बस्तर में मां दंतेश्वरी का आशीर्वाद लेकर किया जा रहा है और इसी का परिणाम है कि ये योजनाएं सफल भी हो रही हैं। उन्होंने कहा कि “चिराग परियोजना” छत्तीसगढ़ के बस्तर और सरगुजा संभाग सहित 14 जिलों में लागू की जाएगी। उन्होंने कहा कि चिराग परियोजना आदिवासी क्षेत्रों में विकास की नयी रौशनी फैलाएगी। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर शासकीय महिला पॉलिटेक्निक धरमपुरा का नामकरण धरमू माहरा के नाम पर और बस्तर हाईस्कूल को जगतू माहरा के नाम पर करने की घोषणा की। इसके साथ ही उन्होंने जगतू माहरा के नाम पर भव्य सामुदायिक भवन बनाने की घोषणा की।

Advertisement
Advertisement

मुख्यमंत्री ने कृषि मड़ई में बड़ी संख्या में पहुंचे किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि इस योजना का उद्देश्य किसानों की आमदनी के अवसरों को बढ़ाना, गांवों में पौष्टिक भोजन की उपलब्धता सुनिश्चित करना, क्षेत्र की जलवायु पर आधारित पोषण-उत्पादन प्रणाली विकसित करना, प्राकृतिक संसाधनों के बेहतर प्रबंधन की कार्यप्रणाली का विकास करना है। इस परियोजना के माध्यम से कृषि क्षेत्र में विकास के नये और विकसित तौर-तरीकों को बढ़ावा दिया जाएगा। “चिराग परियोजना” आदिवासियों के लिए नये अवसर और नयी आशाएं लाने वाली परियोजना है। आधुनिक खेती और नवाचारों से जुड़कर वे नये जीवन में प्रवेश करेंगे।

Advertisement

इस परियोजना के लिए विश्व बैंक और संयुक्त राष्ट्र संघ की कृषि विकास हेतु स्थापित संस्था आईएफएडी ने वित्तीय सहायता दी है। विश्व बैंक द्वारा 730 करोड़ रुपए, आईएफएडी द्वारा 486.69 करोड़ रुपए की सहायता इस परियोजना के लिए दी गई है। राज्य सरकार ने इस परियोजना की कुल राशि में 30 प्रतिशत राशि, 518.68 करोड़ रुपये अपने राजकीय कोष से उपलब्ध कराए हैं। चिराग परियोजना को बस्तर, बीजापुर, दंतेवाड़ा, कांकेर, कोंडागांव, नारायणपुर, सुकमा, मुंगेली, बलौदाबाजार, बलरामपुर, जशपुर, कोरिया, सूरजपुर और सरगुजा जिलों के आदिवासी विकासखंडों में लागू किया जाएगा। चिराग परियोजना बस्तर संभाग के बस्तर जिले के विकासखंड बकावंड व बस्तर, कांकेर जिला के विकासखंड चारामा, नरहरपुर में, जिला कोंडागांव में विकासखंड बड़े राजपुर और माकड़ी, नारायणपुर जिले के विकासखंड नारायणपुर, दंतेवाड़ा जिले के विकासखंड दंतेवाड़ा व कटेकल्याण, सुकमा जिले के विकासखंड छिंदगढ़़ और सुकमा, बीजापुर जिले के विकासखंड भोपालपट्नम और भैरमगढ़ के चयनित ग्रामों में क्रियान्वयन की जाएगी। इससे बस्तर अंचल में खेती-किसानी को समृद्ध और लाभदायी बनाने में मदद मिलेगी और बस्तर अंचल के किसान परंपरागत खेती के साथ-साथ आधुनिक खेती की ओर अग्रसर होंगे। इससे उनकी माली हालात बेहतर होगी और उनके जीवन में खुशहाली का एक नया दौर शुरू होगा।

Advertisement

मुख्यमंत्री ने कहा कि चिराग परियोजना का मुख्य उद्देश्य जलवायु परिवर्तन के अनुसार उन्नत कृषि उत्तम स्वास्थ के दृष्टिकोण से पोषण आहार में सुधार, कृषि और अन्य उत्पादों का मूल्य संर्वधन कर कृषकों को अधिक से अधिक लाभ दिलाना है। परियोजना के अंतर्गत लघुधान्य फसलें, समन्वित कृषि, जैविक खेती को प्रोत्साहन, भू-जल संवर्धन, उद्यानिकी फसलों, बाड़ी और उद्यान विकास, उन्नत मत्स्य और पशुपालन तथा दुग्ध उत्पादन के अतिरिक्त किसानों के उपज का मूल्य संवर्धन कर अधिक आय अर्जित करने केे कार्य किए गए हैं। इसके अलावा विभिन्न कृषि उत्पादों के लिए बाजार उपलब्धता के भी प्रयास किए जाएंगे। परियोजना का क्रियान्वयन राज्य सरकार के सुराजी योजना के गौठानों को केन्द्र में रखकर किया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि मां दंतेश्वरी के आशीर्वाद से यहां प्रारंभ की गई सभी योजनाएं सफल हो रही हैं। उन्होंने कहा कि बस्तर की इसी धरती पर मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान प्रारंभ किया गया था और आज परिणाम यह है कि कुपोषण की दर 32 फीसदी कम हो गई है। इसी तरह 80 हजार से अधिक महिलाएं एनीमियामुक्त हो गई हैं। मलेरियामुक्त बस्तर अभियान भी यहीं से प्रारंभ किया गया था। इस अभियान से बस्तर में मलेरिया के मामलों मंे 45 फीसदी और सरगुजा में 60 फीसदी की कमी आई है। यहीं से प्रारंभ किए गए मुख्यमंत्री हाट बाजार योजना के कारण अब उल्टी-दस्त और डायरिया के कारण शिविर लगाने की आवश्यकता नहीं पड़ती। उन्होंने कहा कि आमतौर पर उद्योगों की स्थापना के लिए किसानों की जमीन ली जाती है मगर बस्तर के लोहण्डीगुड़ा क्षेत्र में पहली बार उद्योग स्थापना के लिए अधिग्रहित भूमि को वापस करने का कार्य किया गया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे ने कहा कि बस्तर के लिए आज ऐतिहासिक दिन है। बस्तर की पहचान बदलने के लिए 1735 करोड़ रुपए की चिराग परियोजना का शुभारंभ किया गया है। इस परियोजना के माध्यम से अधोसंरचना के विकास के साथ ही तकनीकी आधारित कृषि को बढ़ावा देने और उत्पादों के प्रसंस्करण के माध्यम से स्थानीय युवाओं की आय में वृद्धि का कार्य किया जाएगा। उन्होंने कहा कि बस्तर के उत्पादों की अच्छी गुणवत्ता के कारण इसकी अपनी पहचान है। अब बस्तर के यह उत्पाद दिल्ली-मुंबई में भी बिकेंगे और फ्लिपकार्ट व अमेजन जैसे ऑनलाईन मार्केट प्लेटफार्म में भी उपलब्ध होंगे। कृषि मंत्री श्री चौबे ने कहा कि इस वर्ष 1 करोड़ 5 लाख मैट्रिक टन धान खरीदी का लक्ष्य रखा गया है। राज्य में मिलेट मिशन की शुरुआत हुई है, जिसके तहत कोदो-कुटकी जैसे लघु धान्य फसलों को समर्थन मूल्य पर खरीदने का कार्य छत्तीसगढ़ में पहली बार होगा। जिले के प्रभारी मंत्री कवासी लखमा और सांसद दीपक बैज ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ विधानसभा के उपाध्यक्ष मनोज मंडावी, बस्तर क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष लखेश्वर बघेल, संसदीय सचिव रेखचंद जैन, राज्य हस्तशिल्प विकास बोर्ड के अध्यक्ष चंदन कश्यप, बस्तर क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष संतराम नेताम व विक्रमशाह मंडावी, दंतेवाड़ा विधायक देवती कर्मा, विधायक चित्रकोट राजमन बेंजाम, भिलाई विधायक देवेन्द्र यादव, महापौर सफीरा साहू, नगर निगम अध्यक्ष कविता साहू, कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ कमलप्रीत सिंह, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ एस.एस. सेंगर, कमिश्नर जी.आर. चुरेंद्र, आईजी बस्तर सुन्दरराज पी., कलेक्टर रजत बंसल, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक जितेंद्र मीणा सहित गणमान्यजन प्रतिनिधि व अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

’मुख्यमंत्री ने किया कृषि महाविद्यालय की टेक्निकल बुलेटिन का विमोचन ’ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस अवसर पर शहीद गुण्डाधूर कृषि महाविद्यालय द्वारा जारी कृषि आधारित टेक्निकल बुलेटिन ‘बस्तर की प्रमुख दलहनी फसल‘ का विमोचन किया।

भुमगादी महिला कृषि उत्पादक समूह और उद्यानिकी महाविद्यालय के मध्य कॉफी के लिए हुआ एमओयू
इस अवसर पर भूमगादी महिला कृषि उत्पादक समूह और उद्यानिकी महाविद्यालय के बीच कॉफी के लिए एमओयू किया गया। मुख्यमंत्री एवं अतिथियों द्वारा वृहद कृषि मड़ई में संभाग के प्रगतिशील किसान, कृषि उत्पादक समूह और स्वसहायता समूहों के सदस्यों का सम्मान भी किया गया।

Advertisement

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button