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बीजेपी को परेशान कर रहा है वसुंधरा राजे का राजनीतिक बर्ताव, पार्टी की संभावनाओं को कमजोर कर रही महारानी

(शशि कोन्हेर) : वो दिन और होंगे जब वसुंधरा राजे सिंधिया को राजस्थान में भाजपा की मजबूती का कारण माना जाता था। इसके उलट बीते 5 सालों से वसुंधरा राजे सिंधिया पार्टी को कमजोर करने की हद तक खुद को मजबूत करने में लगी हुई है। जैसे कर्नाटक में पूर्व मुख्यमंत्री बी एस येजुरप्पा और पूर्व मुख्यमंत्री बोम्मई के बीच में आखिर तक भाजपा के नेता कोई तालमेल नहीं बना सके।

ठीक है वैसा ही हाल राजस्थान में वसुंधरा राजे और भाजपा नेता सतीश पूनिया के बीच में दिखाई दे रहा है। पूरे 5 साल तक वसुंधरा राजे ने कांग्रेस के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को लगातार मजबूत किया है। वसुंधरा राजे ने भाजपा के हर उस आंदोलन की हवा निकाल दी है। जो श्री गहलोत के खिलाफ शंखनाद की तरह किया गया था। जयपुर में विधायक दल की बैठक के दिन उन्होंने अपने महल में खुद का जन्मदिन मनाने का विशाल आयोजन कर भाजपा नेतृत्व को शक्ति प्रदर्शन कर दिखाया।

वसुंधरा राजे भाजपा को  इस हद तक मजबूर कर रही है कि पार्टी उन्हें भावी मुख्यमंत्री के रूप में स्वीकार कर उनके ही चेहरे पर चुनाव लड़ने की घोषणा कर दे। लेकिन उनके विरोधी इसके सख्त खिलाफ हैं। पार्टी में एक बड़ा धड़ा वसुंधरा राजे के द्वारा अपनी महत्वाकांक्षाओं के लिए पार्टी हितों की कुर्बानी के सिलसिले को भाजपा के लिए खराब संकेत मान रहा है।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से उनकी नजदीकी के कारण ही सचिन पायलट पार्टी सरकार से दूर होते चले गए। श्री पायलट ने वसुंधरा राजे के कार्यकाल के दौरान हुए हजारों करोड रुपए के घोटाले की जांच के लिए आवाज उठाई थी। लेकिन अशोक गहलोत ने ऐसा कुछ भी नहीं किया।

इसके कारण ही सचिन पायलट और उनके बीच में दूरियां बढ़ती गई।  हालत तो यह है कि राजस्थान में ऐसी अफवाहें भी उड़ रही हैं कि यदि भाजपा ने वसुंधरा राजे को मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में प्रस्तुत नहीं किया तो वे कांग्रेस में भी शामिल हो सकती है।

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