अरपा नदी पर लोधी पारा और पचरीघाट में बन रहे बैराज..अगर चुनाव से पहले बन गए तो कांग्रेस, और नहीं बने तो शहर में भाजपा होगी मजबूत..!
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(शशि कोन्हेर) : बिलासपुर। शहर के लोगों को इस बात का डर लग रहा है कि बिलासपुर में अरपा नदी पर बन रहे दो बैराज का हाल भी खलनायक बन चुकी सीवरेज परियोजना जैसा ना हो जाए। वैसे कायदे से इन दोनों ही बैराज (एनीकट) को अभी तक बनकर तैयार हो जाना था। लेकिन आज की स्थिति में उन्हें देखकर यह नहीं लगता कि सन 2024 में भी उनका निर्माण पूरा हो पाएगा। बिलासपुर में लोधी पारा और पचरी घाट के पास 100 करोड़ की लागत से शुरू हुए दोनों ही एनीकट के निर्माण स्थल पर बीते कई दिनों से सन्नाटा दिख रहा है। वहां का हाल देख कर ऐसी आशंका हो रही है कि कहीं इसके निर्माण में कोई मालपानी का “लोचा” तो नहीं आ गया..? इन बैराज के निर्माण को लेकर लोगों ने सपना देखा था कि इन दोनों बैराज (एनीकट) के बन जाने से अरपा नदी..बिलासपुर में सरकंडा (सेंदरी-कोनी) से पचरीघाट तक, बारहों माह, शुद्ध जल से लबालब रहेगी। अगर इस साल की गर्मियों तक यह काम पूरा हो जाता है तो अगले साल नवंबर-दिसंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव में इसका लाभ सत्ता पक्ष या कहें कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी को जरूर मिल सकता है। यदि ऐसा नहीं हुआ तो विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा के हाथ एक बड़ा मुद्दा लग सकता है।
100 करोड रुपए में बन रहे इस बैराज में से एक बैराज शिव घाट में बन रहा है। इस बैराज की लंबाई 334 मीटर, ऊंचाई 3.50 मीटर और चौड़ाई 7.50 मीटर प्रस्तावित है। इसी तरह पचरी घाट में बन रहे दूसरे बैराज की लंबाई 278 मीटर और चौड़ाई साढे सात मीटर है। शिव घाट के बैराज में 24 गेट बनाए जा रहे हैं। जबकि पचरीघाट के बैराज में 20 गेट का निर्माण प्रस्तावित है। मगर अफसोस कि इस समय इन दोनों ही बैराज के निर्माण की गति का हाल “9 दिन चले लड़ाई कोस” से भी बुरा हो चला है।
यदि इस ओर ध्यान नहीं दिया गया और इन दोनों बैराज के निर्माण में तेजी नहीं लाई गई तो सीवरेज की तरह इसके भी निर्माण में हो रही देर अंधेर साबित हो सकती है। और अगर ऐसा हुआ तो आने वाले आगामी विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ पार्टी कांग्रेस के वोटों में इजाफा करने वाले ये दोनों ही बैराज उसके (कांग्रेस के) लिए ही परेशानी का सबब बन सकते हैं। आखिर अरपा नदी में बारहौं माह पानी का यह सपना, 5-7 हजार वोटों को इधर से उधर करने का माद्दा तो रखता ही है।