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बच्चों की उस स्कूल में 100 विद्यार्थी एक दूसरे के मंगेतर हैं….

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(शशि कोन्हेर) : गौड़ – मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुल श्योपुर जिले के रामबाड़ी गांव के स्कूल की कक्षा दो में पढ़ने वाले पवन और कीर्ति (परिवर्तित नाम) एक ही गांव के हैं और दोनों रिश्ते में मंगेतर हैं। उनके स्वजन ने परंपरा के चलते जन्म के कुछ दिन बाद ही इनकी सगाई कर दी थी।

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जब दोनों बालिग हो जाएंगे, तब इनकी शादी होगी। अगर पवन या कीर्ति के परिवार ने रिश्ता तोड़ा तो संबंधित परिवार को 95 हजार जुर्माना भी चुकाना होगा। यह तो केवल उदाहरण मात्र हैं।

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रामबाड़ी गांव के प्राथमिक और माध्यमिक स्कूल में बंजारा समाज छात्र-छात्राओं में से अधिकांश का रिश्ता इसी तरह पक्का हो गया है। इस स्कूल को नाबालिग मंगेतरों की पाठशाला कहना गलत नहीं होगा।

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सगाई तोड़ने पर भरना होता है हर्जाना
बंजारा समाज में 50 वर्ष से ज्यादा समय से चली आ रही परंपरा के कारण यह अनोखा संयोग बना है। जिला मुख्यालय से 15 किमी रामबाड़ी, भीखापुर, हनुमानखेड़ा, मल्होत्रा और सौभागपुरा गांव हैं। महज चार किमी के दायरे में बसे इन गांवों में परंपरा है कि बंजारा समाज के लोग अपने बच्चों की शादी इनके अतिरिक्त अन्यत्र नहीं करते।

इन गांवों के बीच एक स्कूल रामबाड़ी में हैं। बचपन में ही सगाई कर देने की परंपरा की वजह से वर्षों तक कई मंगेतर एक ही कक्षा में साथ-साथ पढ़ते हैं। प्राथमिक स्कूल में फिलहाल 72 छात्राएं और इतने ही छात्र हैं। कुल 144 विद्यार्थियों में 100 एक-दूसरे के मंगेतर हैं।

माध्यमिक स्कूल में 68 छात्र और 73 छात्राएं हैं। कुल 141 विद्यार्थियों में से 110 की सगाई हो चुकी है। ज्यादातर आपस में मंगेतर हैं। यदि किसी परिवार को सगाई तोड़नी है तो उसका फैसला पांचों गांवों की पंचायत मिलकर करती है। संबंधित परिवार को इसके लिए हर्जाना भरना होता है।

बालिग होने पर करते हैं शादी
बचपन में और आस-पास के गांवों में ही सगाई करने के पीछे कारण यही है कि पांचों गांवों के निवासी रिश्तेदार या जान-पहचान वाले ही हैं। बंजारा समाज की बुजुर्ग कंचन बाई का कहना है कि जान-पहचान होने के कारण रिश्ता तय करने में आसानी होती है। मेरी भी सगाई बचपन में हुई थी। समाज में परंपरा लंबे समय से चली आ रही है।

वर्ष 2011 में तय हुई थी जुर्माने की रकम 95 हजार रुपये
पांचों गांव के मुखिया पृथ्वी पटेल बताते हैं कि पहले सगाई तोड़ने वाले पक्ष को पंचायत के निर्णय के बाद 25 हजार रुपये हर्जाने के रूप में दूसरे पक्ष को देना होते थे। वर्ष 2011 में पंचायत ने तय किया कि हर्जाने की राशि बढ़ानी चाहिए, ताकि लोग रिश्ता तोड़ने से पहले कई बार सोचें। हर्जाने की राशि 95 हजार रुपये करने के बाद रिश्ता तोड़ने वालों की संख्या कम हुई है।


मध्य प्रदेश के श्योपुर के बंजारा समाज में बच्चों की बचपन में ही कर दी जाती है सगाई, पांच गांवों के बीच एक स्कूल, इसी में मंगेतर साथ करते हैं पढ़ाई, विवाह की तय कानूनी उम्र होने के बाद की जाती है शादी, 90 प्रतिशत बच्चों की हो चुकी है बचपन में सगाई स्कूल में 90 प्रतिशत बच्चे ऐसे हैं, जिनकी सगाई बचपन में हो चुकी है। वे एक साथ स्कूल में पढ़ने भी आते हैं। अब बंजारा समाज जागरूक हो गया है। पहले बच्चों की शादी कम उम्र में कर देते थे, लेकिन अब बालिग होने के बाद ही करते हैं। -रामकैलाश गुर्जर, प्रधानाध्यापक, शा. माध्यमिक विद्यालय, रामबाड़ी

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