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क्या हमारे लिए भी रात को अदालत खुलेगी…..? तीस्ता सीतलवाड़ केस में जेएनयू की वीसी ने सुप्रीम कोर्ट पर उठाया सवाल


(शशि कोन्हेर) : जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी की वाइस चांसलर शांतिश्री धुलिपड़ी पंडित ने रविवार को अपने एक भाषण में सुप्रीम कोर्ट की कार्यप्रणाली पर ही सवाल उठा दिया। उन्होंने कहा कि शनिवार की रात को जिस तरह से सुप्रीम कोर्ट ने तीस्ता सीतलवाड़ को राहत दी है, उससे यह सवाल उठता है कि क्या वह इसी तरह सभी से समान बर्ताव करेगा। गोधरा दंगों से जुड़े मामले में निर्दोष लोगों को फंसाने के लिए सबूतों से छेड़छाड़ के आरोप में तीस्ता सीतलवाड़ पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही थी। लेकिन अदालत ने 1 जुलाई को सीतलवाड़ को अंतरिम राहत देते हुए कार्रवाई पर रोक लगा दी थी। उस दिन शनिवार था।

इसी मामले का जिक्र करते हुए शांतिश्री ने कहा, ‘वामपंथियों का ईकोसिस्टम अब भी मौजूद है। क्या आप जानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने शनिवार की रात को तीस्ता सीतलवाड़ को बेल देने के लिए अदालत खुलवाई थी। क्या हमारे लिए भी ऐसा होगा।’ पुणे में एक मराठी पुस्तक के विमोचन के मौके पर जेएनयू की वीसी ने ये बातें कहीं। शांतिश्री का पुणे से पुराना नाता रहा है। वह यहां की सावित्रीबाई फुले पुणे यूनिवर्सिटी के राजनीति विभाग में प्रोफेसर थीं। उन्होंने कहा कि यदि आप राजनीतिक शक्ति पाना चाहते हैं तो फिर उसके लिए नैरेटिव की ताकत भी होनी चाहिए। हमें इसकी जरूरत है। जब तक यह नहीं होगी, तब तक हम दिशाहीन जहाज पर बैठे रहेंगे।

यही नहीं इस दौरान शांतिश्री पंडित ने आरएसएस के साथ अपने जुड़ाव को भी याद किया। उन्होंने कहा कि मैं तो बाल्यकाल से ही संघ से जुड़ी रही हूं और बाल सेविका के तौर पर काम किया है। उन्होंने कहा कि आज जो भी मेरे को संस्कार मिले हैं, वह सब आरएसएस की देन हैं। पंडित ने कहा कि मुझे यह कहने में गर्व होता है कि मैं आरएसएस से जुड़ा रहा हूं। हिंदू होने पर भी मुझे गर्व है और मैं कभी कोई हिचक नहीं रखती है। इसी बात को एक बार फिर दोहराते हुए उन्होंने जब कहा, ‘गर्व से कहती हूं मैं हिंदू हूं’ तो मौके पर जुटे लोग जय श्री राम के नारे लगाने लगे।

बीते साल फरवरी में ही शांतिश्री को जेएनयू के वीसी के तौर पर जिम्मेदारी मिली थी। अपने संबोधन में जेएनयू की वीसी ने कहा कि कुछ लोग तो ऐसे हैं, जिन्होंने यूनिवर्सिटी में राष्ट्र ध्वज और पीएम मोदी की फोटो तक लगाए जाने का विरोध किया था। उन्होंने कहा कि मैंने ऐसे लोगों को जवाब दिया कि आप कैंपस में मुफ्त का खाना खाते हैं और उसका भुगतान टैक्सपेयर्स के पैसों से होता है। इसलिए आपको राष्ट्रध्वज और पीएम मोदी की फोटो के आगे झुकने में क्या दिक्कत है। उन्होंने दावा किया कि जब तक मैं जेएनयू में नहीं थी तब तक वहां प्रधानमंत्री मोदी, भारत की राष्ट्रपति की तस्वीरें और राष्ट्रीय ध्वज मौजूद नहीं थे। मुझे कई लोगों ने मना किया कि इन चीजों को कैंपस में मच लाइए।

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