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चुनाव प्रचार के लिए पश्चिम बंगाल क्यों नहीं जा रहे हैं यशवंत सिन्हा…कहीं ममता का डर तो नहीं..!

(शशि कोन्हेर) : राष्ट्रपति चुनाव के प्रचार के लिए आगामी शनिवार को भाजपा नीत राजग प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू  कोलकाता आ रही हैं। वहीं दूसरी ओर विपक्ष के साझा उम्मीदवार यशवंत सिन्हा चुनाव प्रचार के लिए झारखंड के बाद बंगाल भी नहीं आएंगे। खबर है कि सिन्हा ने स्वयं कहा है कि वह प्रचार के लिए बंगाल नहीं जा रहे हैं। ऐसे में अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या मुख्यमंत्री व तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी ने यशवंत सिन्हा को चुनाव प्रचार के लिए बंगाल आने से रोक दिया है?

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यह सवाल इसलिए भी अमह हो गया है कि ममता ने इससे पहले एक जुलाई को रथयात्र के दिन ही यह कहकर सिन्हा समेत पूरे विपक्ष को जबर्दस्त झटका दे दिया था कि अगर भाजपा पहले बता देती कि वह द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाने वाली है, तब विपक्ष भी समर्थन में रहता।

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ममता ने कहा कि चूंकि विपक्ष ने एक साझा प्रत्याशी के तौर पर यशवंत सिन्हा का चयन कर लिया है, इसलिए अब चुनाव में मुर्मू का विरोध और सिन्हा का साथ देना उनकी मजबूरी है। ममता का यह कहना कि वह यशवंत का साथ मजबूरी में देंगी, सिन्हा के लिए किसी झटका से कम नहीं हो सकता है।

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यही ही नहीं वे अपने ही गृह प्रदेश झारखंड में भी प्रचार नहीं करेंगे। सूत्रों ने बताया कि यशवंत सिन्हा ने बंगाल की यात्रा को लेकर खुद कहा है कि वे वहां नहीं जाएंगे, क्योंकि ममता बनर्जी ने उन्हें आश्वासन दिया है कि वह सब संभाल लेंगी। सिन्हा को कोलकाता आने से रोकने के पीछे ममता की रणनीति हो सकती है।

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क्योंकि वह नहीं चाह रही है कि बंगाल के आदिवासी समाज के बीच यह संदेश जाए कि वह और उनकी पार्टी एक आदिवासी महिला का विरोध कर रही है। राष्ट्रीय आदिवासी समागम (दरबार) की ओर से शुक्रवार को कोलकाता प्रेस क्लब में एक संवाददाता सम्मेलन आयोजित किया है।

जिसमें झारखंड बिहार उड़ीसा पश्चिम बंगाल के सभी आदिवासी संगठनों के नेता मौजूद रहेंगे और वे सभी राजनीतिक दलों से द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति चुनाव में सर्वसम्मति से निर्वाचित करने की अपील करेंगे।

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