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CAA पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने दिया केजरीवाल को जवाब….

दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल की ओर से संशोधित नागरिकता कानून को लेकर लगाए गए आरोपों पर देश के गृहमंत्री अमित शाह ने जवाब दिया है। केजरीवाल की ओर से यह कहे जाने पर कि पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यक के भारत में आने से रेप और चोरी की घटनाएं बढ़ंगी, गृहमंत्री ने आपत्ति जताई और कहा कि उन्हें पता नहीं कि जिन्हें नागरिकता दी जाएगी वे पहले से देश में रह रहे हैं।

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एक इंटरव्यू में अमित शाह ने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अपने भ्रष्टाचार के उजागर होने से अपना आपा खो बैठे हैं। शाह ने पूछा कि दिल्ली के सीएम रोहिंग्या का विरोध क्यों नहीं करते हैं। उन्होंने केजरीवाल को शरणार्थी परिवारों से मिलने की नसीहत भी दी। एक दिन पहले अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि सीएए की वजह 1947 से भी बड़ा माइग्रेशन होगा और पता नहीं कैसे लोग आएंगे। केजरीवाल ने आशंका जताई कि इन लोगों के आने से देश में चोरी और रेप जैसी घटनाएं बढ़ सकती हैं।

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शाह ने केजरीवाल के सवाल पर कहा, ‘दिल्ली के मुख्यमंत्री अपने भ्रष्टाचार के उजागर होने से अपना आपा खो बैठे हैं। उन्हें मालूम नहीं है कि सारे लोग आ चुके हैं। आज भारत में ही रहे हैं। सिर्फ उन्हें अधिकार नहीं मिला है उन्हें अधिकार देने की बात है। 2014 तक जो आ गए उनके नागरिकता देना है। इतनी ही चिंता है तो वो क्यों बांग्लादेशी घुसपैठियों की बात नहीं करते, रोहिंग्या का विरोध क्यों नहीं करते, क्योंकि वो वोट बैंक की राजनीति कर रहे हैं। दिल्ली के चुनाव उनके लिए लोहे के चने चबाने जैसे हैं। इसलिए वोट बैंक की पॉलिटिक्स कर रहे हैं। नौकरी का कहां सवाल हैं, वे पहले से यहां है। क्या बांग्लादेश और रोहिंग्या नौकरी का अधिकार नहीं मार रहे हैं। सिर्फ जो हिंदू, बौद्ध, जैन, ईसाई और पारसी शरणार्थी का विरोध कर रहे हैं।’

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शाह ने कहा कि केजरीवाल विभाजन के बैकग्राउंड को भूल गए हैं। उन्होंने सलाह दी कि जो रिफ्यूजी आए थे उनके परिवार के साथ चाय पीनी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘जो शरणार्थी बनकर आए थे दिल्ली के बाजारों में सब्जियों की दुकान लगाई थी। मोदी जी ने विभाजन की विभीषिका का दिन मनाकर उसको इतिहास का हिस्सा बनाया। इन लोगों के मन में संवेदना नहीं है।’

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शाह ने शरणार्थियों की हालत बयां करते हुए कहा, ‘वो समझते नहीं है, वहां धर्म के आधार पर उनकी महिलाओं का गौरव छीना जाए, अपमानित किया जाए, क्या करेंगे वो। उनकी वेदना हम भी नहीं समझेंगे। 50 में आ गे, 60 में आ गए, 70 में आ गए, 80 में आ गए, आज भी नागरिकता नहीं है। बच्चों को स्कूल में दाखिला नहीं मिलता, अच्छी नौकरी नहीं मिलती, अपन नाम से प्रॉपर्टी नहीं ले सकते, मतदान नहीं कर सकते, क्या गुनाह है उनका। भारत विभाजन का फैसला उन्होंने नहीं किया था। कांग्रेस पार्टी ने किया था। उस वक्त सबने कहा था कि जो आएंगे उनको नागरिकता देंगे। अब अपने वादे से मुकर जाना हमें तो मंजूर नहीं है। इनकी वेदना को मोदी जी समझते हैं और इसका अंत होना चाहिए।’

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