बिलासपुर

बंद और स्थगित ट्रेने शुरू करने, बिलासपुर में भी पंजाब-हरियाणा जैसा रेल रोको आंदोलन होगा…तभी, रेल प्रबंधन की अकल ठिकाने आएगी..!

(शशि कोन्हेर) : बिलासपुर – यह अच्छी बात है कि बिलासपुर समेत पूरे छत्तीसगढ़ में ट्रेनों को बड़ी संख्या में स्थगित और रद्द करने की रेल प्रबंधन की नादिरशाह के खिलाफ बिलासपुर में लगातार आंदोलन किया जा रहा है। कभी कोटा में,तो कभी बिल्हा में, और कभी बिलासपुर में लोगों का आक्रोश इन आंदोलनों के जरिए सड़क पर आ रहा है। लेकिन रेलवे जैसे भारी भरकम विभाग को इस तरह के छोटे-मोटे आंदोलन से न तो कभी फर्क पड़ा है और न पड़ेगा। रेलवे का दिमाग ठिकाने लगाना हरियाणा पंजाब के लोग अच्छे से जानते हैं। वे अपनी हर तरह की मांग मनवाने के लिए सबसे पहले रेलवे की नाक में दम कर देते हैं। मामला रेलवे से ना जुड़ा हो। किसानों के समर्थन मूल्य का हो। अथवा किसी घटना के विरोध प्रदर्शन का.. पंजाब और हरियाणा के लोग माई-पिल्ला हजारों हजार की संख्या में रेलवे ट्रैक पर आ जाते हैं।

(देखे तस्वीरे) जिसके कारण रेलवे की हालत सबसे पहले खराब होती है। बिहार और उत्तर प्रदेश में भी, किसी भी मामले को लेकर हड़ताल हो.. उसका पहला शिकार रेलवे को ही होना होता है। बिलासपुर में भी कई वर्षों से चल रहे रेलवे जोन आंदोलन की सुनवाई तभी हुई। जब यह आंदोलन… जनांदोलन बन गया और पूरा बिलासपुर अपने घरों से निकलकर रेलवे लाइन और रेलवे स्टेशन पर जा पहुंचा। इस बार भी रेल प्रबंधन द्वारा जिस तरह बिलासपुर समेत छत्तीसगढ़ से आने जाने वाली ट्रेनों को बड़ी संख्या में रद्द किया जा रहा है…यह भी कोई छोटा मोटा अपराध नहीं है। भाई बहन रेलवे के कारण ना रक्षाबंधन में आना-जाना कर पाए और ना ही तीजा पोला में।

हर त्योहार पर रेलवे यहां देश के दूसरे इलाके में नई स्पेशल ट्रेनें चालू करता रहा वहीं बिलासपुर में और कुछ दर्जन ट्रेनें स्थगित तथा रद्द करने में लगा रहा। रेल प्रबंधन कोयला आपूर्ति के नाम से बिलासपुर के यात्रियों की गत मारने पर उतारू है। इसलिए रेलवे का दिमाग ठिकाने लगाने के लिए बिलासपुर को छोटे-मोटे, घेराव या नुक्कड़ सभाओं को छोड़कर बड़ा जन आंदोलन करना चाहिए। फिर इसके लिए कोयले का परिवहन रोकना पड़े या फिर रेलवे ट्रैक पर ऐसा धरना देना पड़े। जिससे पूरा रेल प्रबंधन और कोयला मंत्रालय हिल जाए। बिना इसके बार-बार दर्जनों ट्रेनों को रद्द और स्थगित करके क्षेत्र की जनता को सताने वाला रेल प्रबंधन सही रास्ते पर नहीं आ सकता।

एक पुराना नारा है.. दुनिया झुकती है झुकाने वाला चाहिए..! और रेलवे को झुकाने का दमखम बिलासपुर की जनता में किस कदर भरा हुआ है। यह रेलवे जोन के लिए हुए आंदोलन ने दिखा दिया है।अभी भी नेता तो रेल प्रबंधन की इस मनमानी के लिए रेलवे का विरोध कर अपनी भूमिका निभा ही रहे हैं। पर रेलवे के रवैये से सर्वाधिक प्रताड़ित और परेशानी भुगतने वाली क्षेत्र की जनता जब तक इसके खिलाफ सड़क पर नहीं आएगी…तब तक रेलवे इसी तरह ट्रेनें रद्द कर हमारे सीने पर मूंग दलता रहेगा… अपनी हरकतों से आम जनता के लिए खलनायक बने रेल प्रबंधन के कान उमेंठने के लिए…हर घर से जब लोग निकलेंगे, तभी “खलनायक बने रेल प्रबंधन की खलनायकी” का अंत हो पाएगा..

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