आईएमएफ ने 2024 के लिए भारत के ग्रोथ का अनुमान बढ़ाकर 6.3 फीसद किया……
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अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने भारत के लिए अपने 2023-24 के ग्रोथ के अनुमान को जुलाई के 6.1 फीसद से बढ़ाकर 6.3 फीसद कर दिया है। वहीं 2023 में दुनिया की ग्रोथ 3 फीसद और 2024 में 2.9 फीसद का अनुमान है। एडवांस्ड इकोनामी में 2023 में 1.5 फीसद और 2024 में 1.4 फीसद का विस्तार का अनुमान लगाया है।
भारत के लिए एजेंसी ने जून तिमाही के दौरान “अपेक्षा से अधिक मजबूत खपत” का हवाला देते हुए यह बात कही है। मंगलवार को आईएमएफ ने कहा कि दुनिया की 10 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं सहित 81 फीसद वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं ने अपनी मध्यम अवधि की विकास की संभावनाओं में गिरावट देखी है।
वाशिंगटन स्थित यह एजेंसी वित्तीय वर्ष के आधार पर भारत की आर्थिक वृद्धि का पूर्वानुमान लगाती है, जबकि यह अन्य अर्थव्यवस्थाओं के लिए कैलेंडर वर्ष का उपयोग करती है। भारत के लिए आईएमएफ का यह अनुमान भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के चालू वित्त वर्ष में 6.5 फीसद सकल घरेलू उत्पाद (GDP) ग्रोथ के अनुमान से एक पायदान नीचे है।
बता दें जून तिमाही के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था में 7.8 फीसद की वृद्धि दर्ज की गई। जून के दौरान जीएसटी कलेक्शन सालाना 12 फीसद बढ़कर ₹1.6 ट्रिलियन हो गया। एशियाई विकास बैंक जैसी अन्य बहुपक्षीय एजेंसियों को उम्मीद है कि 2023-24 के दौरान भारत की वृद्धि दर 6.4 फीसद होगी।
चीन की ग्रोथ गिरेगी: अपने लेटेस्ट विश्व आर्थिक आउटलुक में आईएमएफ ने 2023 के लिए अपने अमेरिकी ग्रोथ को अपने जुलाई अपडेट की तुलना में 0.3 फीसद बढ़ाकर 2.1 फीसद कर दिया, जबकि चीन के 2023 के विकास पूर्वानुमान को पहले के 5.2 फीसद पूर्वानुमान से घटाकर 5 फीसद कर दिया।
आईएमएफ के पूर्वानुमान के अनुसार, यूरो क्षेत्र 2023 में 0.7 फीसद और 2024 में 1.2 फीसद बढ़ेगा। आईएमएफ की रिपोर्ट में कहा गया है कि पांच उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं- ब्राजील, चीन, भारत, इंडोनेशिया और रूस ने 2008 और 2023 के बीच मध्यम अवधि की वैश्विक विकास संभावनाओं में गिरावट में लगभग 0.9 फीसद फीसद अंक का योगदान दिया है।
आईएमएफ के मुख्य अर्थशास्त्री Pierre-Olivier Gourinchas ने वैश्विक अर्थव्यवस्था पर कहा कि आईएमएफ का नवीनतम पूर्वानुमान ने “सॉफ्ट लैंडिंग” की संभावना बढ़ा दी है। वर्तमान वैश्विक विकास पूर्वानुमान “एक दशक में सबसे धीमा” है। उन्होंने कहा, “वैश्विक अर्थव्यवस्था धीमी गति से चल रही है।”
आर्थिक गतिविधि धीमी हो गई है, लेकिन रुकी नहीं
गौरींचास ने कहा कि युद्ध के कारण ऊर्जा और खाद्य बाजार बाधित होने और दशकों से अधिक मुद्रास्फीति से निपटने के लिए अभूतपूर्व मौद्रिक सख्ती के बावजूद आर्थिक गतिविधि धीमी हो गई है, लेकिन रुकी नहीं है।
भारत की बात करें तो महंगाई को काबू में रखने के लिए आरबीआई ने मई 2022 से रेपो दर को 250 आधार अंक (2.5 फीसद) बढ़ाने के बाद अप्रैल से 6.5 फीसद पर अपरिवर्तित रखा है। खाद्य पदार्थों की कीमतों में कमी के कारण भारत की खुदरा मुद्रास्फीति जुलाई में 15 महीने के उच्चतम 7.44 फीसद से घटकर अगस्त में 6.83 फीसद हो गई।