अंतरराष्ट्रीय

पाकिस्तान के पेशावर की मस्जिद के आतंकी हमले में मृतकों की संख्या 63 हुई…157 घायल.. 25 से अधिक गंभीर

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(शशि कोन्हेर) : पाकिस्तान के पेशावर में एक मस्जिद पर आत्मघाती हमला हुआ है। इस धमाके में मरने वालों की संख्या 63 पर पहुंच गई है। जबकि करीब 157 घायल हुए हैं। घायलों को नजदीकी अस्पताल में भर्ती करवाया गया है। मस्जिद में उस समय धमाका हुआ

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जब बड़ी संख्या में लोग नमाज पढ़ने के लिए जमा हुए थे। मृतकों की संख्या में अभी बढ़ोतरी होने की आशंका है। पुलिस अधिकारी सिकंदर खान ने कहा, इमारत का एक हिस्सा ढह गया है और इसके नीचे कई लोगों के दबे होने की आशंका है।

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खबर है कि तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान ने हमले की जिम्मेदारी ली है। खैबर पख्तूनख्वा के कार्यवाहक मुख्यमंत्री मोहम्मद आजम खान ने मंगलवार को प्रांत में एक दिन के शोक का ऐलान किया है। साथ ही उन्होंने दुख में डूबे परिवारों को भरोसा दिया है कि प्रांत की सरकार शोक की घड़ी में उनका साथ नहीं छोड़ेगी।

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मस्जिद में लोग नमाज पढ़ रहे थे, तभी हमलावर ने अपनी आत्मघाती जैकेट में विस्फोट कर लिया। स्थानीय पुलिस अधिकारी जफर खान के मुताबिक, विस्फोट के प्रभाव से मस्जिद की छत ढह गई और कई लोग घायल हो गए।

‘नहीं पता कैसे बाल-बाल बच गया’
जीवित बचे 38 वर्षीय पुलिस अधिकारी मीना गुल ने कहा कि जब बम ब्लास्ट हुआ तो वह मस्जिद के अंदर थे। उन्होंने कहा कि उन्हें नहीं पता कि वह कैसे बाल-बाल बच गए। गुल ने कहा कि बम फटने के बाद वह रोने और चीखने की आवाजें सुन सकता था।

पुलिस ने कहा कि बचावकर्ता मस्जिद के मैदान से मलबे के ढेर को हटाने और मलबे में फंसे नमाजियों को निकालने की कोशिश कर रहे हैं। पुलिस अधिकारी ने बताया कि घायलों को नजदीकी अस्पताल में भर्ती करवाया गया है। उन्होंने कहा कि कई घायलों को गंभीर हालत में एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है और आशंका है कि मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है। पेशावर अफगानिस्तान की सीमा से लगे खैबर पख्तूनख्वा प्रांत की राजधानी है और लगातार आतंकवादी हमले होते रहे हैं।

अफगान तालिबान का सहयोगी है टीटीपी
पाकिस्तानी तालिबान, तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान या टीटीपी के रूप में जाना जाता है। यह अलग समूह है, लेकिन अफगान तालिबान का करीबी सहयोगी भी है, जिसने अगस्त 2021 में पड़ोसी अफगानिस्तान में सत्ता पर कब्जा कर लिया था।

क्योंकि अमेरिकी और नाटो सैनिक 20 साल बाद अफगानिस्तान की धरती छोड़कर वापस चले गए थे। टीटीपी ने पिछले 15 सालों में पाकिस्तान में विद्रोह छेड़ रखा है, देश में इस्लामी कानूनों को लागू किए जाने के लिए लड़ रहा है। इसके अलावा अपने सदस्यों की रिहाई जो हिरासत में हैं, उनकी मांग कर रहा है।

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