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यूपी चुनाव के छठे और सातवें चरण में फुल फॉर्म में आई बसपा सुप्रीमो

उत्तर प्रदेश के चुनाव का आखिरी चरण आते-आते बसपा प्रमुख मायावती ने अपने तेवर बदल लिए हैं। शुरूआती चरण में मायावती जिस तरह अखिलेश यादव और योगी आदित्यनाथ का तुलना में बेहद कम रैलियां कर रही थी। और बयान- इंटरव्यू से भी दूरी रख रही थीं। वह तेवर छठे दौर से बदल गए हैं। अब वह बेहद आक्रामक नजर आ रही हैं, और लगातार रैलियां भी कर रही हैं। यहीं नहीं वह सातवें चरण के लिए काशी में भी डेरा डाल चुकी है। मायावती की सक्रियता अगर वोटरों को लुभा पाई, तो यह तय है कि यूपी चुनाव खत्म होते-होते बेहद रोचक बन जाएगा। और नतीजे भी अलग तरह के दिख सकते हैं। और उसका अंतिम चरण की 111 सीटों पर सीधा असर दिखेगा।

दलित प्रभाव वाली सीटों पर ज्यादा वोटिंग
छठे चरण में जिन 10 जिलों में वोटिंग हुई है। उसमें दलित प्रभाव वाली सीटों पर दूसरे जिलो की तुलना में ज्यादा वोटिंग है। इसके तहत अंबेडकरनगर, गोरखपुर, संत कबीर नगर और बस्ती वोटिंग प्रतिशत अच्छा रहा है। अंबेडकर नगर में 62 फीसदी से ज्यादा वोटिंग हुई है जो कि इस चरण का सबसे ज्यादा वोटिंग प्रतिशत है। यह इलाके मायावती के गढ़ भी रहे हैं। इसीलिए मायावती ने संत कबीर नगर ,बस्ती में सक्रियता भी ज्यादा दिखाई।

कई सीटों पर बहुकोणीय मुकाबला
बसपा ने इस बार सीटों के बंटवारे में खास तौर से जातिगत समीकरण का ध्यार रखा है। उसने 403 में से सबसे ज्यादा सीटें ओबीसी और मुस्लिम उम्मीदवारों को दी है। करीब 50 फीसदी सीटें इन जातियों के उम्मीदवारों को पार्टी ने दी है। उसमें ऐसी सीटें जहां मुस्लिम मतदाता ज्यादा है, वहां पर खास तौर से मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया गया है। इसी जातिगत समीकरणों की वजह से छठे और सांतवे चरण में गोरखपुर, अंबेडकर नगर, सिद्धार्थनगर, बस्ती, महाराजगंज, कुशीनगर, आजमगढ़, गाजीपुर, बनारस, पडरौना में कई सीटों पर मुकाबला रोचक हो गया है। इसके अलावा दोनों चरणों के लिए न केवल मायावती सक्रिया दिखाई दे रही हैं, बल्कि सतीश चंद्र मिश्रा भी बेहद सक्रिय हैं।

योगी पर दिखी आक्रामक
बीते बृहस्पतिवार को मायावती बेहद आक्रामक दिखी और पहली बार सीधे तौर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर हमला किया। चुनाव में मुद्दा बन चुके बुलडोजर पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि मौजूदा मुख्यमंत्री को सिर्फ मुस्लिम, दलित और ब्राह्मण ही गुंडे-माफिया नजर आते हैं। वह मुस्लिम, दलित और ब्राह्मण के ही घर और संपत्ति को उजाड़ते हैं उन्होंने कहा कि बसपा की सरकार आएगी, तो उस खास वर्ग के माफियाओं के घरों पर बुलडोजर चलेंगे। जिसे संरक्षण दिया जा रहा है।
जातिगत समीकरणों के साथ-साथ पार्टी की बढ़ी सक्रियता ने पूर्वांचल में सुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर और सपा से चुनाव लड़ रहे स्वामी प्रसाद मौर्य के लिए भी मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। जैसे मायावती ने राजभर के खिलाफ जहूराबाद सीट से 2012 की बसपा विधायक शादाब फातिमा को मैदान में उतार दिया है। इसी तरह फाजिल नगर से स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ इलियास अंसारी को उतारा है। ऐसे में दोनों जगह मुस्लिम वोटों का बटना तय है। इसी तरह गोरखपुर ग्रामीण, चौरीचौरा, कैम्पियरगंज पर ऐसी ही रणनीति अपनाई है।


पूर्वांचल में किसे फायदा
2017 के चुनाव में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने मिलकर चुनाव लड़ा था। जबकि मायावती ने अकेले चुनाव लड़ा था। उस बार भाजपा ने पूर्वांचल की 150 सीटों में से 100 से ज्यादा सीटों पर जीत दर्ज की थी। ऐसे में देखना है आखिरी चरण में 111 सीटों पर मायावती की सक्रियता 2022 में क्या रंग दिखलाती है।

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